ओडिशा के पुरी से संवेदनहीनता से जुड़ी एक झकझोरने वाली खबर आई है। एक 82 साल की बुजुर्ग महिला बीते दो महीनों से एक टॉयलेट के अंदर रहने के लिए मजबूर थी। दुर्भाग्य की बात यह है कि इस महिला के चार-चार बेटे हैं, लेकिन उन्होंने इसकी जिम्मेदारी उठाने से इनकार कर दिया। जिला प्रशासन ने रविवार को दखल देकर इस महिला को बचाया है।

महिला की सेहत फिलहाल खराब है और वह बेहद दुबली हो गई है क्योंकि उसे समुचित भोजन या देखभाल नहीं मिला। वहीं, पुरी के जिला प्रशासन ने चारों बेटों से यह हलफनामा लिया है कि वे अपनी मां की देखभाल करेंगे। घटना पुरी जिले के गोप ब्लॉक के तहत आने वाले बीरातुंगा पंचायत की है। यह जगह राजधानी भुवनेश्वर से करीब 70 किमी दूर स्थित है।

अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय तहसीलदार पृथ्वीराज मंडल ने बताया, ‘धानी मंडल के पति की मौत 15 साल पहले हो गई थी। अपने पति की मौत के बाद वह अपने छोटे बेटे के साथ रहती थी। बाद में इस बेटे ने यह सवाल उठाने शुरू कर दिए कि वह अकेले ही मां की जिम्मेदारी क्यों उठाए? इस मुद्दे की वजह से चारो भाइयों के परिवार में काफी झगड़े भी हुए।’ बता दें कि चारों भाई किसान हैं और अलग-अलग रहते हैं।

बाद में यह फैसला हुआ कि धनी हर बेटे के घर एक-एक महीने रहेगी। हालांकि, जब बड़ा बेटा अपनी मां को लेने नहीं आया तो छोटा बेटा उसे बड़े भाई के घर के नजदीक छोड़कर आ गया। एक स्थानीय निवासी ने बताया, ‘दिक्कत बुजुर्ग महिला की वजह से शुरू हुई। अपनी उम्र की वजह से वह चलने-फिरने में अक्षम थी और कभी-कभी घर में ही मल त्याग कर देती थी। बड़े बेटे ने उसे नए बने टॉयलेट में रखने का फैसला किया और मां को उसके अंदर ही रहने कहा। एक फटी हुई पुरानी मच्छरदानी भी उसे दे दी गई।’

यह टॉयलेट स्वच्छ भारत मिशन के तहत बना है। तहसीलदार ने बताया कि स्थनीय लोगों और पुलिस की मौजूदगी में एक मीटिंग बुलाई गई। चारों भाई अपनी मां की देखभाल करने के लिए तैयार हुए। हालांकि, धानी ने पत्रकारों को अपना दुखड़ा सुनाया। उन्होंने बताया, ‘मैं अपने चारों बेटों को अच्छे से पाला। मेरे पति और मैं अपने बच्चों के लिए नजदीक के तालाब से मछली पकड़कर लाते थे। लेकिन संपत्ति के झगड़े की वजह से मेरे बेटों ने मुझे नए बने टॉयलेट में रख दिया। मुझे यहां रहने में बहुत दिक्कत होती है क्योंकि मेरी कोई औलाद मेरा ख्याल नहीं रखती।’ महिला ने यह भी शिकायत की कि उसे दो वक्त का भोजन तक नहीं मिलता।