महाराष्ट्र के जालना जिले में ओबीसी, आदिवासी और बंजारा संगठनों ने ऐलान किया है कि वे राज्य सरकार द्वारा मराठा आरक्षण के संबंध में जारी Government Resolution (GR) के विरोध में प्रदर्शन करेंगे। इन संगठनों का कहना है कि जब तक यह GR वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। यह GR मुंबई में मनोज जरांगे के आंदोलन के बाद जारी किया गया था।

इन संगठनों का कहना है कि हैदराबाद गजट को लागू कर मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र दिए जाने और इस आधार पर आरक्षण देने से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। कुनबी एक कृषक समुदाय है, जो महाराष्ट्र में ओबीसी वर्ग के अंतर्गत आता है।

बंजारा संगठन गोर सेना के अध्यक्ष संदेश चव्हाण ने कहा, “हमें अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था और हैदराबाद राज्य में आरक्षण प्राप्त था। हम वही अधिकार बहाल करने की मांग कर रहे हैं।”

संदेश चव्हाण ने दावा किया कि धाराशिव के एक 32 वर्षीय बंजारा ने शनिवार को आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में अनुसूचित जनजाति आरक्षण की मांग की।

‘OBC के साथ कोई अन्याय नहीं होगा…’

भूख हड़ताल पर बैठे हैं युवा

बंजारा समाज के युवा जालना कलेक्टर कार्यालय के बाहर 11 सितंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं जबकि वरिष्ठ नेता हरिभाऊ राठौड़ ने 15 सितंबर को जालना और बीड़ में मोर्चा निकालने की घोषणा की है। हालांकि, आदिवासी संगठनों ने बंजारा समुदाय की इस मांग का विरोध किया है। उनका कहना है कि बंजारा पहले से ही विमुक्त जाति और घुमंतू जनजाति वर्ग के तहत तीन प्रतिशत कोटे का लाभ उठा रहे हैं।

10 अक्टूबर को नागपुर में होगा बड़ा प्रदर्शन

ओबीसी कार्यकर्ता नवनाथ वाघमारे और सत्संग मुंडे ने चेतावनी दी कि आरक्षण बढ़ाने से ओबीसी श्रेणी में शामिल 374 जातियों के अधिकार प्रभावित होंगे। उन्होंने बताया कि ओबीसी नेताओं ने 10 अक्टूबर को नागपुर में विशाल मोर्चा निकालने का निर्णय लिया है। ऐतिहासिक रूप से, मराठवाड़ा क्षेत्र हैदराबाद के निजाम के अधीन था, जिनके प्रशासन ने राजपत्र में जातियों और व्यवसायों का दस्तावेजीकरण किया था।

‘मराठा आरक्षण से ओबीसी कोटे पर नहीं पड़ेगा कोई असर…’

वर्ष 1918 में, मराठों को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण दिया गया था, जो एक ऐसी मिसाल है जिसका इस्तेमाल अब उनके ओबीसी दावे के समर्थन में किया जा रहा है। उस समय निजाम का शासन 17 जिलों पर था, जिनमें से औरंगाबाद, बीड़, नांदेड़, परभणी और उस्मानाबाद, बाद में महाराष्ट्र का हिस्सा बन गए।

मराठाओं को धोखा दे रही सरकार

मराठा क्रांति मोर्चा के राज्य संयोजक संजय लाखे पाटिल ने भी जरांगे पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें गजट की ‘‘गहरी जानकारी’’ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कुनबी का रिकॉर्ड रखने वाले मराठा ही लाभान्वित होंगे। सरकार मराठाओं को धोखा दे रही है।’’

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