जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों को प्रशासन ने वेतन काटने की चेतावनी दी है। जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने 26 मार्च को विश्वविद्यालय के शिक्षकों को एक नोटिस जारी किया, जिसमें ‘काम नहीं तो दाम नहीं’ की नीति के तहत धरने पर बैठने वाले शिक्षकों का उतने दिन का वेतन और भत्ता कट जाएगा जितने दिन वे धरने पर बैठेंगे। इसके अलावा धरने पर बैठे शिक्षकों के खिलाफ एफआर 17(ए) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई भी की जाएगी। जेएनयू के रजिस्ट्रार की ओर से भेजे गए नोटिस में लिखा है कि प्रशासन को पता चला है कि सोमवार से जेएनयू शिक्षक संघ तीन दिवसीय धरना देने जा रहा है। इस धरने में शामिल होने वाले सभी शिक्षकों से अपील की जाती है कि वे धरने में शामिल होने की सूचना रजिस्ट्रार के आधिकारिक ई-मेल पर लिखकर दें या फिर रजिस्ट्रार को आधिकारिक पत्र के जरिए इसके लिए सूचित करें। जेएनयू प्रशासन की ओर से भेजे गए इस नोटिस से शिक्षकों में गुस्सा है। उनका कहना है कि प्रशासन उन्हें धरना देने और प्रदर्शन करने से रोक रहा है और अब वेतन काटने का नोटिस देकर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने के अधिकार को छीनने की कोशिश कर रहा है।
यौन उत्पीड़न की शिकार छात्राओं के पक्ष में आए 165 विज्ञानी
जेएनयू के छात्रों का दावा है कि विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न की शिकार छात्राओं को देशभर के 165 विज्ञानियों का समर्थन मिला है। विद्यार्थियों के मुताबिक, क्योंकि यौन उत्पीड़न विज्ञान प्रयोगशालाओं में हुआ है इसलिए हमने विज्ञानियों से, खासकर महिला विज्ञानियों से यौन उत्पीड़न की शिकार छात्राओं के पक्ष में आने की अपील की थी। विद्यार्थियों की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भारत में विज्ञान शोध में पुरुषों का ही वर्चस्व है। प्रयोगशालाओं के प्रमुखों में भी महिलाओं की उपस्थिति बहुत कम है। पिछले कुछ सालों में विज्ञान शोध के क्षेत्र में छात्राओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए देश के विज्ञानियों को महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को हटाने के लिए भी काम करना होगा।
नियमों के खिलाफ है शिक्षक संघ की मांग
जेएनयू प्रशासन ने बीते दिनों अनिवार्य उपस्थिति का नियम नहीं मानने पर सात स्कूलों के डीन को पद से हटा दिया था। प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ और अन्य कई मांगों को लेकर जेएनयू शिक्षक संघ कई दिनों से आंदोलित है। शिक्षक संघ की इन मांगों को जेएनयू प्रशासन ने अनुचित बताते हुए इन्हें जेएनयू के नियमों के खिलाफ बताया है। जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों के आंदोलन के बीच एक बार फिर रजिस्ट्रार की तरफ से अपील जारी की गई है, जिसमें आंदोलन से पढ़ने वाले छात्रों के लिए अवरोध पैदा नहीं करने का आग्रह किया गया है। सोमवार को जारी अपील में रजिस्ट्रार ने कहा है कि जेएनयू प्रशासन ने असल में उन फैसलों को लागू किया है, जो जेएनयू के संविधान निकाय द्वारा पास और नियमों के अनुसार है।
छात्राओं के साथ हुई छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज
जेएनयू छात्र संघ की ओर से 23 मार्च को आयोजित संसद मार्च के दौरान छात्राओं के साथ हुई छेड़छाड़ के खिलाफ सरोजिनी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। इसमें कहा गया है कि पिछले शुक्रवार को शांतिपूर्ण संसद मार्च को पुलिस ने रोका और छात्राओं के साथ पुरुष पुलिसकर्मियों ने छेड़छाड़ की। इतना ही नहीं, हिरासत के दौरान भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। छात्र संघ की ओर से मांग की गई है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाए।

