नोएडा शहरवासियों को सस्ती और सुगम सार्वजनिक परिवहन सुविधा देने की योजना एक बार फिर अटक गई है। नोएडा डिपो ने अपने बेड़े में शामिल सभी 10 सिटी बसों को वापस भेजने का निर्णय लिया है। इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि फिलहाल शहर की सड़कों पर नगर निगम की सिटी बसें दौड़ती नजर नहीं आएंगी और यात्रियों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

डिपो प्रबंधन के अनुसार, इन सभी बसों का डीजल श्रेणी का होना सबसे बड़ी समस्या है। नोएडा डिपो में डीजल से चलने वाली बसों के रखरखाव, मरम्मत और तकनीकी सर्विसिंग की कोई समुचित व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इन बसों का नियमित संचालन संभव नहीं हो पा रहा है। डिपो में मौजूद पूरा बेड़ा डीजल बसों का ही है, जो पिछले कई महीनों से परिसर में खड़ा धूल फांक रहा है।

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जानकारी के मुताबिक, डिपो प्रबंधन ने पहले शासन से सीएनजी बसों की मांग की थी, ताकि पर्यावरण के अनुकूल और किफायती परिवहन व्यवस्था शुरू की जा सके। हालांकि, शासन की ओर से डीजल बसें आबंटित कर दी गईं। रखरखाव की सुविधा न होने और बसों के लंबे समय से खड़े रहने के कारण उनकी स्थिति लगातार खराब होने लगी। इसी को देखते हुए अब प्रबंधन ने बसों को वापस लौटाने का फैसला लिया है।

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इस निर्णय से नौकरीपेशा लोगों, छात्रों और आम यात्रियों में निराशा है, जो लंबे समय से सिटी बस सेवा शुरू होने की उम्मीद लगाए बैठे थे। बेहतर कनेक्टिविटी और कम खर्च में सफर का सपना फिलहाल अधूरा रह गया है। हालांकि, कुछ राहत की खबर भी सामने आई है। शासन की ओर से जिले को चार इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसें मिलने वाली हैं, जिनमें से एक बस नोएडा डिपो को सौंप दी गई है। शेष तीन बसों के पहुंचने के बाद इनके संचालन की तैयारी की जाएगी। ये बसें नोएडा और ग्रेटर नोएडा को जोड़ेंगी।

डिपो के एआरएम रोहिताश कुमार ने बताया कि डीजल बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक या सीएनजी बसें उपलब्ध कराने की मांग शासन से की गई है।