राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में एक मॉड्यूल का खुलासा किया था, जिसमें आरोप है कि हाफिज सईद के संगठन लश्कर ए तैयबा के पैसों से हरियाणा के पलवल में एक मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। मस्जिद ‘खुलाफा ए रशीदीन’ निर्माण के लिए पैसा लश्कर के द्वारा चलाई जा रही संस्था फलाह ए इंसानियत (एफएएफ) द्वारा दिया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अब एनआईए यह जांच कर रही है कि कहीं इस मस्जिद का निर्माण लश्कर द्वारा मुस्लिम युवाओं को ‘आतंक की ट्रेनिंग’ देने के लिए तो नहीं किया जा रहा था? युवा मुस्लिम युवाओं को आतंकी बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा था? इस बात की भी जांच हो रही है कि इतने बड़ा मस्जिद बनाने के पीछे का मकसद भारत में लश्कर का स्लीपर सेल बनाना, युवाओं को आतंकी हमले के लिए तैयार करना और आतंकी मॉड्यूल को तैयार करना तो नहीं था?
एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए एक आरोपी मोहम्मद सलमान जो कि पलवल जिले के उत्तवर का रहने वाला है, ने एफआईएफ से 70 लाख रुपये लिए थे। यह पैसे उसे दुबई में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिक कामरान से मिले थे, जो एफआईएफ के डिप्टी चीफ के संपर्क में था। पिछले एक साल के दौरान मोहम्मद सलमान और कामरान की दुबई में दो से तीन बार मुलाकात हुई। उसने कामरान से 70 लाख रुपये मिले, जिसमें से अधिकांश पैसों का इस्तेमाल पलवल के उत्तावर में मस्जिद निर्माण के लिए हुआ।
हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी हवाला रूट के जरिए एफआईएफ से मिले पैसों को लेकर एनआईए के समानांतर जांच करेगी। एनआईने एक अलग केस दर्ज करने के लिए ईडी के साथ एफआईआर शेयर किया है। यदि ईडी आतंकी फंडिंग की पुष्टि करती है, तो मस्जिद को सीज करने का अधिकार मिल सकता है। एनआईए को कुछ दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिसके माध्यम से कथित तौर पर यह पुष्टि हो रही है कि हवाला रूट के जरिए मस्जिद निर्माण के लिए 2 से 2.5 करोड़ दिए जाने थे, जिसमें से 70 लाख रुपये अब तक दे दिए गए हैं। बता दें कि एनआईए द्वारा मोहम्मद सलमान (52 वर्षीय), मोहम्मद सलीम और साजिद अब्दुल वाणी को 26 सितंबर को आंतंकी गतिविधियों के लिए एफआईएफ से पैसे लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे मामले का खुलासा हो रहा है। एनआईए कई बिंदुओं पर जांच कर रही है।