वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। फिलहाल बिल जेपीसी के पास भेज दिया गया है। इस बीच बिहार से एक खबर आई है, जहां सरकार ने सभी जिलों के अधिकारियों को कहा है कि मंदिरों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए और जिन मंदिरों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है उन्हें रजिस्टर किया जाए।
क्या है जानकारी?
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह कहा गया है कि बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) के पास रजिस्ट्रेशन मौजूद रहे। ऐसे मंदिरों का डेटा बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किए जाने का निर्देश भी दिया गया है। विधि विभाग के अंतर्गत आने वाले बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पास यह डेटा होना ही चाहिए।
फैसला मानना होगा अनिवार्य
बिहार सरकार ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य किया है। यानी अब जो भी मंदिर ट्रस्ट या मठ होगा उनके लिए यह जरूरी हो गया है कि वह बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) की वेबसाइट पर जाएं और रजिस्ट्रेशन कराएं। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 18 जिलों ने ही राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) को यह डेटा सौंपा है।
बिहार के कानून मंत्री नितिन नवीन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘‘सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सुनिश्चित करें कि सभी अपंजीकृत मंदिरों, मठों और ट्रस्ट का प्राथमिकता के आधार पर पंजीकरण किया जाए।’’
उन्होंने जिलाधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी पंजीकृत मंदिरों/मठों से संबंधित अचल संपत्तियों का ब्योरा तुरंत बीएसबीआरटी को उपलब्ध कराया जाए, ताकि इसे इसकी वेबसाइट पर अपलोड किया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हाल ही में इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। अभी तक केवल 18 जिलों ने ही बीएसबीआरटी को आंकड़ा उपलब्ध कराया है। सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में पंजीकृत मंदिरों और मठों की भूमि सहित अचल संपत्तियों की बिक्री/खरीद न हो।’’ बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के अनुसार, बिहार में सभी सार्वजनिक मंदिरों/मठों, ट्रस्ट और धर्मशालाओं को बीएसबीआरटी के तहत पंजीकृत होना चाहिए। राज्य सरकार पंजीकृत मंदिरों/मठों/ट्रस्ट की संपत्तियों की बिक्री व खरीद के अवैध कामों में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।