अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) ने मंगलवार (10 मई, 2022) को कबूल कर लिया कि जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में वह शामिल था। उसने दिल्ली की एक अदालत के सामने अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा, “हां, मैं जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहा हूं।”
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अलगाववादी नेता को 2017 में कश्मीर घाटी में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में कोर्ट ने कठोर गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) सहित सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया है।
उन्होंने कहा कि मलिक ने अदालत को बताया कि वह यूएपीए (UAPA) की धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) , 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) एवं 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता है।
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह 19 मई को इन अपराधों में यासीन मलिक के लिए सजा तय करने के लिए दलीलें सुनेंगे। इन मामलों में अधिकतम सजा आजीवन कारावास है।
इस बीच, अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर सहित अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ भी औपचारिक रूप से आरोप तय किए।
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोप पत्र दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया जा चुका है।