अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली महिला आयोग ने 25 लोगों को डीसीडब्लू अवार्ड से सम्मानित किया जिसमें एक बच्ची और एक पुरुष भी शामिल है। दस साल की मुस्कान ने जहां एक दूसरी बच्ची को लैंगिक प्रताड़ना से बचाया वहीं आॅटो ड्राइवर राजेश कुमार ने रेलवे स्टेशन पर खोई एक महिला और उसके भतीजे को परिवार से मिलाया।
अवार्ड की खुशी जताते हुए मुस्कान ने कहा, ‘हमने अच्छा काम किया था इसलिए हमें यह गिफ्ट मिला।’ अति साधारण परिवार से आने वाली मुस्कान एक सरकारी स्कूल में पढ़ती है और बड़ी होकर पुलिस अफसर बनना चाहती है। मुस्कान की मां राजकुमारी ने कहा, ‘हम तो यही चाहते हैं कि बेटी खूब तरक्की करे।’ मुस्कान ने अपनी सूझ-बूझ से एक लड़की को दो लड़कों के चंगुल से बचाया।
वाकया पिछली जुलाई का है जब एक दिन वह हरिनगर स्थित अपने घर के सामने खेल रही थी। उसने दो लड़कों को एक लड़की को जबरदस्ती कहीं ले जाते देखा। लड़कों ने लड़की का मुंह बंद कर रखा था। मुस्कान ने तुरंत पास खेल रहे कुछ लड़कों को बताया जिन्होंने पुलिस को बुलाया और लड़की को बचा लिया गया। वहीं आॅटो ड्राइवर राजेश कुमार की तारीफ करते हुए आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि सभी रिक्शा और आॅटो ड्राइवर अगर इनसें प्रेरणा लें, तो महिलाएं काफी सुरक्षित हो जाएंगी।
झारखंड की सब-इंस्पेक्टर आराधना को मानव-तस्करों को पकड़ने में उनकी भूमिका के लिए पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार ग्रहण करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में भी वह इस काम से जुड़े रहना चाहती हैं और मानव तस्करी का खात्मा करना चाहती हैं। वह झारखंड के खूंटी में एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग की इंचार्ज हैं।
एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो चुकीं डॉ. सुनीता देवी ने कहा कि हमें छोटी-छोटी कमियों का रोना छोड़कर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। सुनीता ने हाथ के साथ-साथ ससुराल और पति का साथ भी खो दिया था, क्योंकि उन्हें अपंग बहू मंजूर नहीं थी, लेकिन सुनीता ने हार नहीं मानी, अपनी पढ़ाई जारी रखी, डॉक्टरेट किया और आज वह एमडीयू रोहतक विश्वविद्यालय में गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन हैं।
रोहतक के शुखापुर चौक की निवासी प्रेम देवी स्त्री शक्ति की मिसाल हैं। हाल ही में जाट आंदोलन के दौरान 20 फरवरी को उन्होंने अकेले दम पर दंगाइयों को एक पेट्रोल पंप को आग के हवाले करने से रोका। वह लाठी लेकर डटी रहीं और भीड़ को शांत करने में कामयाब हुर्इं। प्रेम देवी अपनी जान की परवाह न करते हुए, लोगों की सुरक्षा में लगी रहीं, क्योंकि वह जानती थीं कि अगर पेट्रोल पंप में आग लग गई तो आसपास जान-माल का बेहद नुकसान होगा।
दिल्ली महिला आयोग ने जस्टिस वर्मा कमिटी को भी पुरस्कृत किया। दिवंगत जस्टिस वर्मा की पुत्री शुभ्रा वर्मा, कमिटी की सदस्य जस्टिस लीला सेठ और पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने पुरस्कार ग्रहण किया।