दिल्ली का एक चायवाला छोटेलाल सोमवार रात अपनी पत्नी की लाश लेकर भटकता रहा। जिस मकान में किराया देकर वह अपनी पत्नी के साथ रहता था, मरने के बाद उस मकान में उसकी लाश ले जाने की इजाजत नहीं दी गई।  तेज बुखार से 31 साल की पत्नी अंजू की मौत के बाद पति छोटेलाल, छह और चार साल की अपनी दो बेटियों के साथ उसके शव को लेकर एक अदद ठौर के लिए भटकता रहा। जिस हेडगेवार अस्पताल में उसकी मौत हुई उसके प्रशासन को भी दया नहीं आई और न ही उस मकान मालिक को जो इस चायवाले से सालों भर किराए लेता है। एक निजी एंबुलेस चलाने वाला युवक गौरव, आनंद विहार थाने की पुलिस और किराए के घर के पड़ोसी भंवर सिंह ने इंसानियत को बरकरार रखते हुए आखिरकार छोटेलाल की मदद की। अब जब मामला सामने आया है तो सभी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।

इस घटना ने दिल्ली वालों की बेरहमी सामने ला दी है। जब मकान मालिक बबलू ने पहली बार यह कहकर छोटेलाल को उसके किराए के कमरे में पत्नी के शव को रात भर रखने से मना कर दिया कि तीसरी मंजिल पर छोटी सी सीढ़ियों के सहारे वह कैसे उसे ले जा सकता है। मालिक बबलू ने इतना जरूर कहा कि दो हजार रुपए ले लो और शव को एंबुलेस पर ही रात भर रखकर सुबह श्मशान घाट पहुंचाओ। मां के मरने के बाद अपनी दो बिलखती मासूम बच्चियों को सांत्वना देते हुए छोटे को यह समझ नहीं आ रहा था कि अब वह रात भर पत्नी के शव को कहां रखे, कौन अदद एक ठौर दे जिससे पत्नी और बच्चों के साथ रात भर वह आखिरी पल बिता सके। आनंद विहार के एसएचओ विजय सरोतिया ने बताया कि मूल रूप से बिहार का रहने वाला छोटेलाल सूरजमल विहार, कड़कड़डूमा के पास ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के पास चाय की दुकान चलाता है।

उसके छह और चार साल की दो बेटी है। पत्नी अंजू भी छोटे के धंधे में ही साथ देती थी। अंजू को रविवार को बुखार आया था तो छोटे ने उसे हेडगेवार अस्पताल में भर्ती कराया। दवा दी गई और डाक्टरों ने भीड़ को देखते हुए अंजू को घर ले जाने की सलाह दी। सोमवार को सुबह में अंजू को खिचड़ी खिलाई गई। शाम में अचानक फिर अंजू की तबीयत खराब हो गई तो उसे दोबारा हेडगेवार अस्पताल ले जाया गया। रात आठ बजे के करीब डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेस चलाने वाले गौरव ने उससे ती सौ रुपए में शव को कड़कड़डूमा गांव ले जाने की बात कही। छोटेलाल ने दो सौ रुपए देने की बात कही तो गौरव तैयार हो गया। शव को एंबुलेंस में लेकर जैसे ही वह अपने किराए के कमरे के पास आया तो मकान मालिक ने तीसरी मंजिल पर पतली संकड़ी सीढ़ियों का बहाना बनाकर नीचे ही एंबुलेस में रात भर शव को रखने की बात कही। दोनों बच्चों को रोते-बिलखते देख छोटे ने एंबुलेस चालक को कहा कि वह शव को एंबुलेस पर ही रखे या फिर दोबारा उसी अस्पताल ले जाए। गौरव ने शव को दोबारा हेडगेवार अस्पताल पहुंचाया तो वहां अस्पताल प्रशासन ने शव रखने से मना कर दिया।

अब छोटे के पास सिवा शव लेकर भटकने के कोई चारा नहीं था। उसने क्रॉस रिवर मॉल, ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के पास की अपनी चाय की दुकान को रात का ठौर बनाने की सोची। रात करीब साढ़े 12 बज चुके थे। जैसे ही एंबुलेस पर महिला के शव के साथ छोटेलाल को चाय की दुकान पर देखा गया तो दिल्ली पुलिस के दो पुलिसवालों की उसपर नजर पड़ गई। सब इंस्पेक्टर सतपाल और बीट कांस्टेबल बिक्रम ने आनंद विहार के एसएचओ विजय सरोतिया को इस बात की जानकारी दी। सरोतिया रात करीब एक बजे सदल मौके पर पहुंचे। सरोतिया एंबुलेस पर लदी लाश को लेकर कड़कड़डूमा गांव के उस मकान के पास पहुंचे तो मालिक बबलू ने कहा कि उसने दो हजार रुपए एंबुलेस खर्च के लिए देकर शव को नीचे रखने कहा था। फिर उसके पड़ोसी भंवर सिंह ने दया दिखाई और पहले तो अपने सीमेंट के गोदाम में रात भर शव रखने की इजाजत दे दी लेकिन बाद में घर के पास पार्किंग में ही उसे रखवा दिया। पूरी रात की इस कवायद के बाद सुबह पुलिस की मदद से अंजू का विवेक विहार श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया।