दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल दस दिन की विपश्‍यना से लौट आए हैं। विपश्‍यना का केजरीवाल पर ऐसा असर हुआ है कि बाहर वाले तो बाहर वाले, घर वाले भी उनमें आए बदलाव देख कर हैरान हैं। पहले बात-बात पर ट्वीट करने वाले केजरीवाल ने लौटने के घंटों बाद तक कोई ट्वीट नहीं किया। मानो, दस दिन तक ट्विटर से दूर रहने के बाद उनका मोहभंग ही हो गया हो। वह लौटते ही अपने सुप्रीम एडमिनिस्‍ट्रेटिव बॉस, यानी उपराज्‍यपाल नजीब जंग से मिलने चले गए। उन्‍हें गले लगा लिया। वह अपनेे साथ पुराने फैसलों की सारी फाइलें भी ले गए थे। उन्‍हें जंग साहब के सामने रखते हुए कहा- आप इन्‍हें आराम से देख लीजिएगा, और जो बदलाव करवाना चाहें, बता दीजिएगा। हम सब करा देंगे। जंग साहब हैरान! उन्‍हें समझ नहीं आ रहा था कि ये क्‍या हो रहा है! यह तो यकीन से परे था कि कोर्ट के एक फैसले का ऐसा असर हो सकता है! उन्‍हें लग रहा था कि यह केजरीवाल का कोई नया पैतरा है। उनकी हैरानी-परेशानी समझ कर उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने बताया कि केजरीवाल विपश्‍यना से लौटे हैं। जंग साहब की परेशानी थोड़ी कम हुई। उनके चेहरे पर खुशी की हल्‍की सी झलक दिखाई दी। उन्‍होंने सेक्रेटरी से सवाल किया- विपश्‍यना इस हद तक बदलाव ला सकता है!

बहरहाल, जंग साहब के यहां से‍ निकल कर केजरीवाल पीएम मोदी से मिलने पहुंच गए। पीएमओ स्‍टाफ ने कहा- आप बिना वक्‍त लिए आ गए हैं। केजरीवाल बड़ी नरमी से बोले- कोई बात नहीं, मैं इंतजार करता हूं, पीएम साहब के पास जब वक्‍त हो तभी मुझे बुलवा लें। वह वहीं बैठ गए। नहीं, धरने पर नहीं!  इंतजार करने के लिए! और पूरे छह घंटे इंतजार किया। इसके बाद जैसे बुलावा आया, हाथ जोड़ते पीएम के सामने पहुंचे। उन्‍हें नमस्‍ते किया। पीएम ने बिन बुलाए मेहमान की तरह बर्ताव करते हुए कुर्सी की ओर इशारा कर दिया। लेकिन केजरीवाल सीधे मोदी के गले लग गए और कहा- मुझे दिल्‍ली पुलिस नहीं चाहिए, न ही पूर्ण राज्‍य का दर्जा चाहिए। आप जैसे कहेंगे, हम वैसे ही दिल्‍ली का शासन चलाएंगे। आपके साथ पूरा सहयोग करेंगे। पीएम मोदी को अपने कानों पर यकीन ही नहींं हो रहा था। लेकिन केजरीवाल ने कई बार यह बात दोहरा दी और कहा कि हमें आपसे कोई शिकायत नहीं है। उन्‍हें यह पता था कि केजरीवाल विपश्‍यना के लिए गए थे, पर यह यकीन नहीं हो रहा था कि उसका असर इतना सकारात्‍मक हो सकता है। केजरीवाल चले गए, पर मोदी इसी उधेड़बुन में फंसे रहे कि आखिर ये हो क्‍या गया!

पीएम हाउस से केजरीवाल अपने दफ्तर गए तो उनका नया रूप देखकर उनके सारे स्‍टाफ भी हैरान थे। उन्‍हें आए कई मिनट हो गए थे, पर उनके खांसने की आवाज नहीं आई थी। यह भांप कर तमाम बड़े अफसर भी आपस में डायबिटीज, ब्‍लडप्रेशर आदि समस्‍याओं के समाधान के लिए विपश्‍यना पर जाने के विकल्‍प पर चर्चा करने लगे। इसी बीच सेक्रेटरी को बुलाया गया। सेक्रेटरी ने जाते ही ब्रीफ करना शुरू किया- सर, आपकी गैरहाजिरी में केंद्र सरकार ने यहां बहुत परेशानी खड़ी की। यह जान कर कि अभी बोलने वाला कोई नहीं है, मोदी सरकार ने अपने सारे घोड़े दिल्‍ली सरकार केे मंत्रियों, अफसरों के लिए खोल दिए। दिल्‍ली पुलिस से लेकर, इन्‍कम टैक्‍स, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई…सबने मिल कर परेशान किया। केजरीवाल ने बड़ी शांति से सेक्रेटरी की बातें सुनीं। फिर कहा- हमें उनके साथ सहयोग करना चाहिए। यह किसी की साजिश नहीं है, बल्कि हमारे अपने लोगों के सिद्धांतों में आई गिरावट का नतीजा है। सेक्रेटरी और चैंबर में बैठे कुछ करीबी मंत्री सीएम की बात सुन कर हैरान हो गए। सेक्रेटरी ने मन में सोचा- अपनी खांसी के लिए भी मोदी को जिम्‍मेदार ठहराने वाले केजरीवाल में इतना बड़ा बदलाव! अब तो मैं भी विपश्‍यना के लिए जाकर रहूंगा।

दफ्तर से केजरीवाल घर चले गए। खांसते हुए पत्‍नी से कहा- सीएम बन कर क्‍या मिला जी, अब हम पीएम बनेंगे। कम से कम सीएम बन कर अपने ही यहां की पुलिस पर हक की भीख तो नहीं मांगनी पड़ेगी। पत्‍नी परेशान हो गईं कि दस दिन की विपश्‍यना से भी कोई फायदा नहीं हुआ, अब क्‍या किया जाए?

(NOTE : इस खबर को मजे लेने के लिए पढ़ें। इसमें सच्‍चाई बस इतनी है कि अरविंद केजरीवाल विपश्‍यना से लौट आए हैं। उन पर इसके असर की सारी बातें काल्‍पनिक हैं।)