भारत में सर्वाधिक समय तक राजनयिक पद पर सेवाएं देने वाले देश में रूस के राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन का गुरुवार (26 जनवरी) को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 67 वर्ष के थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य गणमान्यों ने कदाकिन के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें भारत का सच्चा मित्र बताया। रूसी दूतावास ने जारी बयान में कहा कि 1971 में अपने राजनयिक करियर की शुरुआत करने वाले कदाकिन भारत, रूस संबंधों को बढ़ावा देने में आगे थे। बयान के मुताबिक, “उनका लंबी बीमारी के बाद नई दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया।” राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने शोक संदेश में कदाकिन को भारत का सच्चा मित्र बताया। मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा, “अपने देश में रूस के राजदूत के निधन से दुखी हूं। उन्होंने यहां लंबे वर्षो तक सेवाएं दीं और वह भारत के सच्चे मित्र थे।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कदाकिन के निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट किया, “कदाकिन के निधन से दुखी हूं। वह एक प्रशंसनीय राजदूत, भारत के महान दोस्त और हिदी के अच्छे वक्ता थे, जिन्होंने भारत-रूस संबंधों को मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी कदाकिन को श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वरूप ने ट्वीट किया, “हमने कदाकिन के रूप में एक मूल्यवान दोस्त को खो दिया, जिन्होंने एक विशिष्ट रूसी दूत के रूप में वर्षो से भारत-रूस संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया।” कदाकिन के निधन की खबर देश में 68वें गणतंत्र दिवस के जश्न के बीच आई। इस दौरान देश राजपथ पर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर रहा था।
अच्छी हिंदी बोलने वाले कदाकिन अधिकांश राजनयिक कार्यक्रमों में सर्वाधिक चिर-परिचित चेहरे रहे। उन्होंने कई भारतीयों को हिंदी के अपने ज्ञान से अचंभित किया है। यहां कुछ वर्षो पहले एक कार्यक्रम में कदाकिन ने कहा था, “भारत ने मेरे जीवन में दूसरे घर के रूप में स्थान बनाया है। यह मेरी कर्मभूमि बन गया है, क्योंकि मैं यहां काफी वर्षो से काम कर रहा हूं। यह मेरी ज्ञानभूमि भी है, क्योंकि यहां मैंने बहुत कुछ सीखा है। यह मेरी तपोभूमि है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह कि यह मेरी मैत्री-भूमि है, क्योंकि मैंने व्यक्तिगत रूप से और रूस की ओर से दूसरी बार राजदूत के तौर पर प्रतिनिधित्व करने का सम्मान मिला। यहां मेरे लाखों अच्छे दोस्त हैं।”
भारत के अमेरिका के नजदीक जाने के बाद कदाकिन ने रूस और भारत के बीच संबंधों में संतुलन निभाने में अहम भूमिका अदा की। कदाकिन 2009 से भारत में रूस के राजदूत थे। वह 1999 से 2004 के बीच भी भारत के राजदूत रहे और उन्होंने लगभग 10 वर्षो तक कई अन्य राजनयिक पदों पर भी सेवाएं दीं। कदाकिन का जन्म 22 जुलाई 1949 में हुआ था। वह अंग्रेजी, हिंदी, फ्रांसीसी और रोमन भाषा के जानकार थे। उन्होंने मॉस्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस से स्नातक की उपाधि हासिल की थी।