आजादी की 70वीं सालगिरह पर मंगलवार को लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को आम लोगों ने बीते सालों का लेखा-जोखा करार दिया। लाल किले की प्राचीर से नए भारत के लिए नई घोषणाएं न होने से लोगों को मायूसी हुई है। हालांकि उन्होंने माना कि प्रधानमंत्री ने ‘सोशल इंजीनियरिंग’ में अपनी काबिलियत का लोहा एक बार फिर मनवाया, लेकिन इस बात का मलाल भी रहा कि लाल किले की प्राचीर से नई योजनाएं नहीं निकलीं। लोगों को यह भाषण आम मौकों पर दिए जाने वाले प्रधानमंत्री के संबोधन जैसा ही लगा। उम्मीद की जा रही थी कि पहले की तरह प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से कुछ नई घोषणाए करेंगे, चीन विवाद पर परोक्ष संदेश देंगे और जनता को कुछ वैसा सुनने को मिलेगा जो पहले मिलता आया है।
पेशे से शिक्षिका रहीं निर्मला महेश्वरी ने कहा कि इससे पहले प्रधानमंत्री यहां से कई तरह की घोषणाएं करते रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस पर इसकी परंपरा रही है। मसलन स्टार्ट अप इंडिया, स्वच्छता अभियान, सांसद ग्राम गोद योजना, दलितों-वंचितों के लिए विशेष बैंकिंग योजना और महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान शुरू करने की घोषणा। लाल किले से अपने पहले भाषण में मोदी ने कहा था कि एक साल के भीतर हर स्कूल में छात्राओं के लिए अलग शौचालय का निर्माण होना चाहिए, ताकि उन्हें स्कूल न छोड़ना पड़े, लेकिन इस बार किसी भी योजना की घोषणा न होने से हैरानी हुई। प्रधानमंत्री के 56 मिनट के संबोधन में गोरखपुर में बच्चों की मौत के जिक्र ने लोगों को सबसे ज्यादा भावुक किया। कालकाजी के सुरेंद्र कुमार भोला ने कहा कि ऐसी बेबाकी इंदिरा गांधी दिखाया करतीं थीं। हालांकि उन्होंने गोरखपुर में बच्चों की मौत को त्रासदी की श्रेणी में रखने और इसकी तुलना प्राकृतिक आपदाओं से करने को अनुचित बताया। पूर्व फौजी नरेंद्र सिंह ने कहा कि 2022 के लिए सरकार का खाका भाषण में दिखना चाहिए। नए भारत में जनता की भूमिका से ज्यादा जरूरी है कि सरकार अपनी योजनाएं यहां से बताती। इस मंच का उपयोग सरकार को अपने फैसले को सही ठहराने से ज्यादा भविष्य की योजनाओं की घोषणा के लिए करना चाहिए।
वन रैंक वन पेंशन देने के प्रधानमंत्री के दावे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने सही तौर पर वन रैंक वन पेंशन नहीं दिया। अगर दिया होता तो जंतर-मंतर पर सवा दो साल से आंदोलन क्यों जारी रहता? बता दें कि जंतर-मंतर पर वन रैंक वन पेंशन को लेकर पूर्व सैनिकों का एक धड़ा जनरल सतबीर सिंह की अगुआई में आंदोलनरत है। और उनका मंच वन रैंक वन पेंशन को ‘वन रैंक फाइव पेंशन’ बता रहा है। लाल किले से चौथी बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने अपनी सरकार की तीन साल की उपलब्धियों और प्रमुख निर्णयों विशेषकर जीएसटी व नोटबंदी की चर्चा की। उन्होंने भ्रष्टाचार और कालेधन से निपटने का संकल्प भी दोहराया। शिक्षाविद् अशोक यादव ने कहा प्रधानमंत्री ने नए भारत का संकल्प रखते हुए ऐसे भारत का निर्माण करने की अपील की, लेकिन इसका रोडमैप नहीं बनाया। दूसरी ओर प्रधानमंत्री के भाषण को सटीक बताने वालों की भी कमी नहीं है। नई घोषणाओं की कमी को छोड़ दें तो प्रधानमंत्री के भाषण के बाकी बिंदुओं की लोगों ने सराहना की। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ संजय ने कहा कि 15 अगस्त के संबोधन में मोदी ने कश्मीर समस्या, केंद्र राज्य संबंध, तीन तलाक और कालेधन समेत तमाम मुद्दों पर साफ संदेश दिए। इससे साफ हो गया कि अगले दो साल किन मुद्दों पर मोदी सरकार का फोकस रहेगा। प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ नरमी नहीं बरती जाएगी और सेना का आॅपरेशन जारी रहेगा। इसके अलावा लोगों को इस बात की खुशी है कि कालेधन ने निपटना सरकार के एजंडे में है और नोटबंदी के बाद सरकार का फोकस बेनामी संपत्तियां जब्त करने पर है।
