AAP विधायक जरनैल सिंह द्वारा पढ़े जा रहे दिल्ली विधानसभा के प्रस्ताव के आधे घंटे के भीतर ही भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। पार्टी सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी नेताओं और विधायकों ने यह पूछना शुरू कर दिया कि राजीव गांधी के भारत रत्न को वापस लेने के प्रस्ताव पर किस तरह से रोक लगाई गई थी? चांदनी चौक की विधायक अलका लांबा ने भी पार्टी के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप पर पूछा कि AAP का आधिकारिक तौर पर क्या रुख था। इसके बाद उन्होंने शुक्रवार को पारित प्रस्ताव की कॉपी ट्वीट कर दी।
विश्वसनीय सूत्र के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘इसमें सचमुच भ्रम की स्थिति थी कि इस मामले में पार्टी का रुख क्या था। प्रस्ताव में पार्टी के भीतर प्रतिक्रिया देखी जा रही थी। एक विधायक पहले ही साल 2019 की संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस से बातचीत कर रहा है और यह उसे इस चर्चा के अंत तक पहुंचा सकता है। वहीं व्हाट्सएप ग्रुप पर लांबा का जवाब देते हुए, पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य ने उनसे पूछा कि जब उन्होंने पहले ही ट्वीट कर दिया, तो पार्टी के स्टैंड के बारे में पूछने का क्या मतलब था। इसके जवाब में चांदनी चौक की विधायक ने कहा कि वो अकेली नहीं थी जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर क्या कि प्रस्ताव पास हो गया।’
पार्टी सूत्रों ने पुष्टि की कि सोमनाथ भारती के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया गया था, जिन्होंने राजीव गांधी के बारे में पैन से कुछ लिख दिया। इसपर अल्का लांबा ने ग्रुप में लिखा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और विधायक पद से इस्तीफा देने को तैयार थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया कि इसके बाद उनसे इस्तीफा देने को कहा गया। लेकिन पार्टी और लांबा ने अपने फैसले पर दोबारा विचार किया, जिसके लांबा से शनिवार को कहा कि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है।
जानना चाहिए कि लांबा पूर्व में पार्टी की आधिकारिक प्रवक्ता थी लेकिन साल 2016 में उनसे यह पद उस वक्त छीन लिया गया जब उन्होंने पूर्व ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर गोपाल राय के बारे में कहा कि उन्हें खुद पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर निष्पक्ष जांच के लिए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके अलावा भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत जब उन्होंने चांदनी चौक में एक दुकान में तोड़फोड़ की तब उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया। हालांकि इस साल दिल्ली की एक अदालत ने उनके खिलाफ आपराधिक सुनवाई से इनकार कर दिया।
लांबा पूर्व में कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई में रह चुकी है। वह साल 1995 में DUSU अध्यक्ष भी रह चुकी है। इसके बाद वह कांग्रेस में चली गई और साल 2013 तक पार्टी में रही। इसके आम आदमी पार्टी के गठन के एक साल बाद इसमें शामिल हो गईं। वह साल 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं, हालांकि इस दौरान हार का सामना करना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी इस घटना के बाद अब लांबा पर इस्तीफे के लिए दबाव नहीं डाल रही। पार्टी इस घटना को अब छोड़ने की कोशिश कर रही है। शुक्रवार की गलती की वजह से पहले ही गठबंधन की बातचीत मुश्किल हो चुकी है।
हालांकि सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि भारती और लांबा के खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई की गई है और दोनों को प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया है। दोनों को आधिकारिक तौर पर पार्टी का प्रवक्ता नियुक्त नहीं किया गया था मगर न्यूज चैनलों पर दोनों को पार्टी का मत रखने को कहा गया था।