पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों को कथित तौर पर परेशान करने की खबरों के बीच दिल्लीवाले इनकी मदद के लिए आगे आए हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर कश्मीरियों से उनके घर आने की अपील भी कर रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले जम्मू-कश्मीर के पुंछ के रहने वाले मसूद अहमद ने बताया कि जिस तरह से खबरें आ रही हैं, उससे जाहिर तौर पर राज्य के विद्यार्थियों में डर का माहौल है। राज्य के लोग इस आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा कर रहे हैं, इसके बावजूद अगर उन पर हमले होंगे तो यह सही नहीं होगा। मसूद ने कहा कि खुफिया तंत्र की नाकामी की वजह से पुलवामा में आतंकी हमला हुआ, लेकिन लोग सरकार की विफलता को नहीं देख रहे हैं बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के खिलाफ सोशल मीडिया पर आग उगल रहे हैं। उनके मुताबिक, पहली बार जम्मू के विद्यार्थियों को भी दिल्ली और देश के अन्य राज्यों में सताए जाने की खबरें आ रही हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि दिल्ली में स्थिति बिलकुल अलग है। यहां के लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक अलका लांबा ने ट्विटर पर लिखा कि बेकसूर कश्मीरियों के लिए दिल्ली हमेशा अपने दरवाजे खोलकर रखती है। यहां सुरक्षित महसूस कीजिए, जैसा आप अपने घर में करते हैं। एक साथ मिलकर हमें हर तरह के आतंकवाद से लड़ना है। शांति बनाए रखें। राष्ट्र विरोधी शक्तियों के खिलाफ एकजुट रहिए जो सचमुच बड़ा खतरा है। इसके अलावा अन्य लोगों ने भी कश्मीरी विद्यार्थियों से उनके घर रुकने की अपील की है। राज गुप्ता ट्विटर के माध्यम से अपील करते हैं कि देश में किसी भी कश्मीरी विद्यार्थी को परेशान न किया जाए। हमें आतंकवाद से लड़ना है न कि अपने देश के लोगों से। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में की एक कश्मीरी छात्रा के मुताबिक, हमने सोशल मीडिया पर ही कश्मीरी विद्यार्थियों को सताए जाने की खबरें सुनी हैं, लेकिन जामिया में ऐसा कुछ नहीं है। यहां हम सुरक्षित हैं। हमारे कई मित्रों ने हमें अपने घर आने के लिए भी कहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एक कश्मीरी छात्र का कहना है कि कॉलेज के छात्रावासों में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जो लोग किराए के मकानों में रह रहे हैं, वे डरे हुए हैं। मकान मालिकों की ओर से कमरा खाली कराने का भी डर विद्यार्थियों को सता रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों ने ऐसी स्थिति में हमें अपने घर रहने को कहा है।

