गेहूं की बढ़ती कीमत को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। इसी को लेकर टीवी डिबेट के दौरान एंकर ने कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा से पूछा कि गेहूं का खेल क्या हो रहा है। एमएसपी 2015 रुपये है। उससे ज्यादा की कीमत पर किसानों से खरीद हो रही है। लेकिन सरकार अपनी खरीदी का लक्ष्य 440 लाख टन से 220 लाख टन पर ले आई। सरकार खरीद नहीं रही है। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना या नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत गेहूं का आवंटन कम कर रही है। इसमें किसका फायदा है।

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कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि हम सब जानते हैं देश की फूड सिक्योरिटी से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने जो फैसला लिया है। वो बहुत अहम फैसला है, ये होना भी चाहिए। देश में एक माहौल बनाया जा रहा है कि एक्सपोर्ट करिए, कुछ इकॉनमिस्ट ये भी कह रहे हैं कि साहब जितना भी आप एक्सपोर्ट कर सकते हो करिए।

उन्होने कहा कि आईटीसी कंपनी ने कहा था कि इस साल हम 21 मिलियन टन तक का एक्सपोर्ट कर सकते हैं। फिर उसके बाद हमने देखा कॉमर्स मिनिस्टर ने कहा कि 15 मिलियन टन तक एक्सपोर्ट हो सकता है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि ये हम गलत करने जा रहे हैं, क्योंकि देश की फूट सिक्योरिटी जरूरत और आटे के दामों में बढ़ोतरी को देख ये बहुत जरूरी था।

देवेंद्र शर्मा ने कहा कि दुनिया में गेहूं का दाम पिछले साल की अपेक्षा 60 प्रतिशत बढ़ा है और जब दाम बढ़ेगा, तब ट्रेड का इंट्रेस्ट होगा कि कितना मुनाफा वो कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे किसानों का कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि हार्वेस्ट का सीजन निकल चुका है। उन्होंने कहा कि गेहूं का सीजन निकल चुका है, जो किसानों को मिलना था वो मिल चुका है।

कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि पिछले चार साल में गेहूं का दाम तो 9 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि आटे के दाम 42 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर ये फैसला लिया है तो हम मानते हैं कि आटे के दाम इससे स्थिर होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को ट्रेड के ऊपर सख्ती बरतनी होगी, क्योंकि रिटेल ट्रेड के ऊपर ये बिना लगाम के घोड़ा हो जाते हैं। ये अपने मन मुताबिक मूल्य बढ़ाते हैं।

कृषि विशेषज्ञ ने सरकार को चेताया और बताया कि 2005 और 2006 में एक बढ़ी गलती हो चुकी है। उन्होंने कहा कि गेहूं को लेकर जो हम गलती कर चुके हैं, अब हम वो न दोहराएं। उस वक्त सरकार ने प्राइवेट ट्रेड से कहा था कि आप किसानों से सीधे गेहूं की खरीद करिए। प्राइवेट ट्रेड और बड़ी-बड़ी कंपनियों ने गेहूं खरीदा। रिजल्ट यह हुआ जब सरकार ने नेशनल फूड सिक्योरिटी के लिए बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनियों से गेहूं को बताने के लिए कहा तो उन्होंने बताने से इनकार कर दिया।

उन्होंने बताया कि 2005-2006 और 2006-2007 में भारत ने 7.1 मिलियन टन का आयात किया था और वो आयात डबल प्राइस पर हुआ था। हम उस गलती को दोबारा न दोहराएं, हमें एक्सपोर्ट पर रोक लगानी होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि फूड सिक्योरिटी को समझते हुए सरकार से सही कदम उठाया है।