दिल्ली मेट्रो के व्यस्ततम स्टेशन राजीव चौक पर ब्लू लाइन की मेट्रो के इंतजार में भारी संख्या में यात्री मौजूद थे। प्लेटफार्म नंबर तीन के डिस्प्ले बोर्ड पर टेÑन आने की सूचना चमक रही थी जिस पर लिखा था वैशाली, चार मिनट। खड़े यात्रियों में नोएडा की ओर जाने वाले यात्रियों ने साइड हट कर वैशाली की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए जगह छोड़ दी। चार मिनट की बजाय और देरी से ट्रेन आई। जब ट्रेन प्लेटफार्म पर खड़ी हुई तो उस ट्रेन के साइड के डिस्प्ले बोर्ड में सूचना चमक रही थी जिसमें लिखा था द्वारका सेक्टर-21। प्लेटफार्म पर खड़े यात्री परेशान हो गए और आगे पीछे करने लगे। कोई इसमें चढ़ा नहीं। इस बीच यात्री उतरे और गेट बंद कर ट्रेन रवाना हो गई।

जब टेÑन का आखिरी डिब्बा प्लेटफार्म से गुजरा तो इसके डिस्प्ले बोर्ड में नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी लिखा देख यात्री चौके और ठगे से देखते रह गए। उनके पास अगली दो ट्रेन  के इंतजार के अलावा कोई चारा नहीं था। यह घटना शुक्रवार शाम करीब साढे चार बजे राजीव चौक मेट्रो स्टेशन की है। विश्व स्तरीय सेवा देने के नाम पर मोटे किराए का यात्रियों पर बोझ डालने वाली दिल्ली मेट्रो की न केवल सेवाएं बल्कि सूचना प्रणाली, उद्घोषणाएं और एस्केलेटर व लिफ्ट तक यात्रियों को रोजाना धोखा दे रहे हैं। रख-रखाव के नाम पर भारी भरकम खर्च करने वाली मेट्रो रेल निगम के मरम्मत व रख-रखाव में खामियों का नतीजा यात्रियों को आए दिन भुगतना पड़ रहा है। यात्रियों की सुविधा के बारे में सोचने या काम करने वाला कोई दिखाई नहीं पड़ता।

यहां खडेÞ यात्री राजेश ने कहा कि मेट्रो की सूचाना प्रणाली की इस गलती की वजह से काफी संख्या में खड़े यात्री भ्रम में पड़ गए। वे यह सोचने लगे कि कहीं वे द्वारका की ओर जाने वाले प्लेटफार्म पर तो नहीं खड़े हैं। इस वजह से उन यात्रियों में कुछ यात्री तेजी से दूसरी ओर के प्लेटफार्म की ओर जाने लगे, लेकिन वे दूसरी और जाने वाली चंद सीढ़ियां चढ़े ही थे कि आखिरी डिब्बे को देख कर पता चला कि टेÑन तो नोएडा जा रही थी। उन्होंने कहा कि एक ही टेÑन के बारे में तीन अलग-अलग सूचना सबसे वीआइपी माने जाने वाले इलाके के मेट्रो स्टेशन की है तो दूर दराज के स्टेशनों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

नोएडा सिटी सेंटर पर रात की आखिरी टेÑन पकड़ने के इरादे से स्टेशन पहुंची यात्री सौम्या ने बताया कि जब वे डिस्प्ले बोर्ड पर 12 मिनट बाद ट्रेन आने की सूचना देखतीं हैं तो आश्वस्त होकर घर वालों को फोन कर दिया कि वे पहुंच जाएंगी। अभी 12 मिनट में गाड़ी है। इस पर पास खड़े सुरक्षाकर्मी ने सलाह दी कि डिस्प्ले बोर्ड की सूचना पर यकीन मत करिए, पहले कस्टमर केयर बूथ पर पता कर लीजिए कि गाड़ी मिलेगी भी या नहीं। तो उपभोक्ता काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने भी अनिश्चय की मुद्रा में ही जवाब दिया। बोला कि आनी तो चाहिए पर पता नहीं कि अभी आएगी या नहीं।
तब तक रात के सवा ग्यारह बज चुके थे। फिर आग्रह करने पर उस कर्मचारी ने कहीं पर फोन करके पूछा कि अभी गाड़ी आएगी या नहीं तब जाकर यात्री आश्वस्त हुई।