नोएडा अथॉरिटी के विवादास्पद अधिकारी यादव सिंह अब विशेष जांच टीम (एसआइटी) की कालेधन की जांच के दायरे में आ गए हैं। एसआइटी ने शनिवार को सीबीडीटी से कहा कि वह इस बारे में जानकारी प्रवर्तन निदेशालय के साथ बांटे ताकि सिंह व उनके सहयोगियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग के आरोप तय किए जा सकें। यादव सिंह पर भारी मात्रा में अवैध धन संपत्ति एकत्रित करने का आरोप है।

एसआइटी के चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमबी शाह और वाइस चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरिजित पसायत ने इस बारे में बैठक कर सीबीडीटी अधिकारियों के साथ मामले पर चर्चा की। बैठक में सीबीडीटी की चेयरपर्सन अनिता कपूर और लखनऊ स्थित जांच निदेशालय के आयकर अधिकारी भी शामिल हुए। इन अधिकारियों ने ही पिछले महीने यादव सिंह के कार्यालयों और उन अनेक कंपनियों पर छापे मारे जिनमें सिंह की पत्नी के जुड़े होने का संदेह है।

बैठक के बाद एसआइटी ने महानिदेशक (आइटी जांच) लखनऊ से कहा कि वे इस मामले में सूचनाएं प्रवर्तन निदेशालय के साथ साझा करें ताकि यादव सिंह के खिलाफ मनी लांड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के आपराधिक प्रावधानों के तहत भी जांच की जा सके। सूत्रों ने कहा कि एसआइटी ने कथित कर चोरी के इस मामले को गंभीरता से लिया है और भारी मात्रा में अवैध धन सृजन का संदेह है। आयकर विभाग पहले ही बड़ी मात्रा में नकदी जब्त कर चुका है और यादव सिंह के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कार्यान्वित की जा रही रीयल एस्टेट परियोजनाओं से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

वित्त मंत्रालय के आधिकारिक बयान के मुताबिक, एसआइटी ने कपूर से कहा है कि वे इस मामले की जांच पर व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखें। आयकर विभाग ने पिछले महीने यादव सिंह और उनकी पत्नी के परिसरों पर छापे मारे थे। इनमें भारी मात्रा में नकदी, दो किलो सोना व हीरे के आभूषण बरामद हुए। विभाग ने उनके दर्जन से ज्यादा बैंक खातों और उनके संचालित निजी फर्मों को भी अपनी जांच के दायरे में ले लिया। मामले की जांच महानिदेशक लखनऊ कर रहे हैं। इसलिए यह आदेश दिया गया है कि सीबीडीटी चेयरपर्सन मामले में यादव सिंह और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ जांच, जब्ती और आगे उपयुक्त कार्रवाई की निगरानी करेंगी।