राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हाल में शहर में मौजूद घनी धुंध के दौरान सरकारी स्कूलों में एअर फिल्टर न लगाने के लिए गुरुवार को दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। शहर में करीब दस दिन तक धुंध की स्थिति थी। एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाले एक पीठ ने कहा- हमने खास तौर पर आपसे बच्चों के लिए स्कूलों में एअर फिल्टर लगाने को कहा था। आपने ऐसा क्यों नहीं किया? आप बच्चों को ताजी हवा मुहैया नहीं करा सकते, कम से कम सरकारी स्कूलों में एअर फिल्टर तो लगाएं। पीठ ने साथ ही प्रदूषण से बचाने के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त मास्क देने का निर्देश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि इसपर राज्य सरकार फैसला करेगी। पीठ का कहना था कि जब प्रदूषण का स्तर निर्धारित सीमा से 20 गुना अधिक हो तो मास्क कैसे किसी को बचाएगा।
आदमी का दम खुद ही घुट जाएगा और वह सांस भी नहीं ले पाएगा। अगर सरकार फैसला करती है और मुफ्त मास्क देती है, तो उन्हें ऐसा करने दें। हम इस पर कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। इरादा हवा को प्रदूषण मुक्त करना और सांस लेने के लायक बनाना है। मास्क का कारोबार बंद होना चाहिए। बाकी दूसरे किसी दर्शन में हमारी दिलचस्पी नहीं है। एनजीटी ने यह सब वकील वर्द्धमान कौशिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा। जिसमें उन्होंने स्कूल जाने वाले बच्चों को निशुल्क मास्क मुहैया कराने के निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि दिल्ली के लोग वायु प्रदूषण की चपेट में हैं और स्कूल जाने वाले बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। चूंकि दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण को लेकर एनजीटी के आदेशों का पालन करने में नाकाम रही है लिहाजा उसे सजा के तौर पर निशुल्क मास्क बांटने चाहिए।
पंचाट ने गुरुवार को कई निर्देश भी पारित किए। जिनमें केंद्रीय और राज्यस्तरीय निगरानी समितियों का गठन करना भी शामिल है ताकि प्रदूषण से मुकाबले के लिए कार्ययोजना तैयार की जा सके। इसने उत्तर भारत के चार राज्यों से कहा कि पुराने डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने पर विचार करें ताकि पर्यावरणीय आपातकाल से निपटा जा सके। पीठ ने पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर को 431 और 251 से ऊपर पाते हुए इसे प्रदूषण का खतरनाक स्तर करार दिया। साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से कहा कि सड़कों पर दस वर्ष से ज्यादा पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करने पर विचार करें।
एनजीटी ने निर्देश दिया कि हर राज्य समिति को पहली बैठक में एक जिले को अधिसूचित करना चाहिए। जहां कृषि का भूमि उपयोग ज्यादा है और इसे पराली जलाने से रोकने के आदेश लागू करने के लिए मॉडल जिला बनाया जाए। पीठ ने कहा- जब वायु प्रदूषण का स्तर ‘खतरनाक’ हो जाता है तो पर्यावरणीय आपातकाल के लिए त्वरित कदम उठाने की जरूरत है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जब पीएम 10 और पीएम 2.5 क्रमश: 431 और 251 प्रति माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ज्यादा हो जाते हैं तो यह हवा में खतरनाक आपातकालीन स्थिति होती है। ऐसी स्थिति में दिल्ली-एनसीआर में पानी के छिड़काव के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।