राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बुधवार को दिल्ली सरकार को 228 मौजूदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को कथित तौर पर पुनर्जीवित करने में विफल रहने और उसकी बजाय 1000 नए आम आदमी क्लिनिक खोलने का प्रस्ताव देने के लिए नोटिस जारी किया। मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए आयोग ने कहा कि ये केंद्र जिनमें से 79 किराए के परिसरों में चल रहे हैं, चिकित्सकों, पैरा मेडिकल कर्मचारी, दवाओं और प्रयोगशाला सुविधाओं के अभाव में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

नोटिस का जवाब चार हफ्ते में दिया जाना है। इसे स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को जारी किया गया है। अपनी टिप्पणी में आयोग ने मोहल्ला क्लिनिक शुरू करने के प्रस्ताव का इस शर्त के साथ स्वागत किया कि मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल आधारभूत संरचना का काम करना सर्वोपरि है।

आयोग ने कहा-नए क्लिनिक स्थापित करने की प्रस्तावित योजना नियमित प्रक्रिया है लेकिन उसका स्वागत किया जाना चाहिए। साथ ही यह सर्वोपरि महत्व का है कि शहर में मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल आधारभूत संरचना को सभी मामलों में काम करने लायक बनाना चाहिए। उसने कहा कि यह एक तरीके से शहर के बड़े अस्पतालों में अत्यधिक भीड़भाड़ को कम करेगा क्योंकि लोग अपनी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के लिए इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जा सकते हैं।