संविधान का मतलब ‘बाबासाहेब’ और ‘बाबासाहेब’ का मतलब संविधान बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संविधान के आदर्शों की ‘भावना’ से जुड़ाव के महत्व पर जोर दिया। मोदी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘बाबासाहेब का अर्थ संविधान है और संविधान का अर्थ बाबासाहेब है। इस तरह की उपलब्धि अतुलनीय है।’ उन्होंने कहा कि समय के साथ हमें इस बात का और भी ज्यादा अहसास होता जा रहा है कि यह काम कितना महान है। उन्होंने कहा, ‘वक्त बदल चुका है और अब हर कोई संविधान में अपने अधिकारों को खोजने की कोशिश करता है और यहां तक कि उनमें वृद्धि करने की भी कोशिश करता है,’ हालांकि कुछ ‘चालाक’ लोग संविधान को आधार बनाकर अपनी सीमाओं का उल्लंघन करने के लिए इसका दुरुपयोग करने की कोशिश करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप एक प्रकार की अराजकता फैलती है। बाबासाहेब अंबेडकर ने अराजकता का व्याकरण बताया था। यह हम सभी- नागरिक, प्रशासन तथा सरकार का कर्तव्य है और जो ताकत इस सबके बीच सामंजस्य बनाकर रखती है उसे संविधान कहते हैं। इसके पास सुगमता लाने और रक्षा करने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम संविधान की भावना से जुड़ें क्योंकि इसके अनुच्छेदों से जुड़ना पर्याप्त नहीं है।’
मोदी ने कहा कि जब देश को आजादी मिली थी तब इसके नागरिकों में कर्तव्य की भावना बहुत प्रबल थी लेकिन जैसे जैसे समय गुजरता गया कर्तव्य की भावना अधिकार और हक की भावना में बदल गई। उन्होंने कहा, ‘कर्तव्य और अधिकारों के बीच संतुलन साधने की चुनौती है।’ संविधान दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘गणतंत्र दिवस’ के तौर पर मनाए जाने वाले 26 जनवरी की ताकत 26 नवंबर में निहित है। उन्होंने कहा कि हमारी नई पीढ़ी का संविधान, इसकी प्रक्रियाओं और इसके उद्देश्यों से जुड़ाव होना चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में संविधान का पठन-पाठन किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने दो किताबों के विमोचन के मौके पर यह बात कही। ये किताबें हैं,‘अपडेटेट एडीसन ऑफ कान्स्टीट्यूसन और ‘मेकिंग ऑफ दी कांस्टीट्यूशन’। इस कार्यक्रम का आयोजन लोकसभा सचिवालय ने किया था और इसमें कई केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी कार्यक्रम में मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि किताबों के जरिए यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि संविधान के पहलुओं को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
