देश के कोने-कोने में ही नहीं दुनिया भर में करोड़ों रुपए की दवाएं भेजने वाले भगीरथ पैलेस में इन दिनों सन्नाटा पसरा है। दवाओं की खरीद-बिक्री के देश के इस सबसे बड़े बाजार में है तो हर तरफ एक अजीब सा असमंजस। जीएसटी की नई दरों के दायरे में आने से दवाओं की कीमतें बेतहाशा बढ़ने को लेकर पूरा बाजार चिंतित है। मरीजों को दवाएं नहीं मिल रहीं। नए कर के अलग-अलग ढांचों में सबसे ज्यादा दवाएं 12 फीसद कर के दायरे में आ रही हैं। कुछ ऐसी भी हैं जो 28 फीसद तक कर चुकाएंगी। दवा व्यापारियों ने इसे लेकर वित्त मंत्री से गुहार लगाई है। जबकि नजदीक के खारीबावली में काजू पर कर की दरें घटने को लेकर उत्साह है।

बाजार में दवाओं की कमी
नई दरों के आने से बाजार में दवाओं क ी उपलब्धता मे गिरावट आई है। यह गिरावट कितनी है यह अध्ययन तो नहीं हुआ है पर अनुमान है कि फुटकर बाजार में करीब 30 फीसद की कमी आ गई है। थोक बाजार में केवल पांच फीसद दवाओं की ही खरीद बिक्री हो पा रही है। आशीष ग्रोवर के मुताबिक, भगीरथ पैलेस दवा मार्केट में इस वक्त महज पांच फीसद दवाओं का ही कारोबार हो पा रहा है। व्यापारी दवाएं ज्यादा नहीं रख रहे हैं कि पता नहीं बिकेंगी या नहीं। कहीं नुकसान न उठाना पड़ें। मरीजों को दवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
कितनी महंगी होगी दवाएं
दिल्ली केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता ने कहा कि पूरा बाजार सकते में है। चारों ओर भ्रम की स्थिति है। एकदम से सरकार ने 12 बजे से नई दरें लागू होने की घोषणा तो कर दी लेकिन तैयारी कोई नहीं है। दवाओं के दाम नई दरों से बेताहाशा बढ़ेंगे। नई दरों को लेकर दवाओं की बिक्री में खींचतान बढ़ गई है। कहने को तो सरकार ने दवाओं के कर कम करने की बात कही थी लेकिन नई व्यवस्था में कर के चार स्तर दिए गए हैं। पहले में जीवनरक्षक दवाओं को पांच फीसद कर के दायरे में रखा गया है। लेकिन इस दायरे में कुल दवाओं को देखें तो महज दो से तीन फीसद दवाएं ही हैं जो इस कर के तहत रखी गई हैं। यानी जो दवाएं सस्ती हुर्इं उनका फीसद महज दो से तीन है। जबकि 80 से 85 फीसद दवाएं 12 फीसद कर के दायरे में कर दी गई हैं। इनमें वे दवाएं भी हैं जो पहले पांच फीसद कर के दायरे में थीं। इनकी कीमतों में कर बढ़ने से भारी उछाल आया है। नई दरों के लिए भी दवा कंपनियां दवाओं का स्टॉक रोक कर रखी हुई हैं। कैलाश ने बताया कि करीब पांच से छह फीसद दवाएं ऐसी हैं जिनपर 28 फीसद तक कर लगेगा और करीब दस फीसद दवाओं पर कुल 18 फीसद कर चुकाना होगा। इससे दवाएं इतनी महंगी हो जाएगी कि लोगों के सामर्थ्य से दूर हो जाएंगी। शिशुओं के लिए जरूरी उत्पादों पर अब 12 फीसद के बजाय 18 फीसद कर लगेगा। सौंदर्य प्रसाधनों पर 28 फीसद कर होगा।
दस्त की दवा भी जीवन बचाती है
देहली ड्रग्स टेÑडर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी दर्शन मित्तल ने कहा है कि एक ओर सरकार ने लग्जरी कारों पर कर के दाम घटा दिए हैं, काजू सस्ते कर दिए हैं, वहीं दूसरी ओर दवाओं पर 28 फीसद तक कर लगा दिया है। इसे अमीरों व गरीबों से भेदभाव करने वाली व्यवस्था बताते हुए मित्तल ने कहा कि फार्च्यून कार की कीमत में दो लाख रुपए और इनोवा की कीमत में मे भारी कमी कर दी गई है, काजू पर महज पांच फीसद कर है जबकि लोगों की जान बचाने वाली दवाओं की कीमतें बेतहाशा बढ़ा दी गर्इं। मित्तल कहते हैं कि सभी दवाएं जीवनरक्षक होती हैं। कोई दवा शौक से नहीं खाता। दस्त की दवा भी प्राणरक्षा के लिए होेती है। इसलिए इन सभी के कर कम से कम रखे जाने चाहिए। इसी संस्था के अन्य पदाधिकारी आशीष ग्रोवर ने कहा कि मेरे हिसाब से तो दवाओं पर कोई भी कर नहीं होना चाहिए। यह लोगों के जीवन से जुड़ा मसला है।

राह में क्या हैं अड़चनें
जहां दवाओं की नई दरों को लेकर असमंजस हैं, वहीं इसे लेकर सॉफ्टवेयर वगैरह भी अभी तक तैयार नहीं हैं। थोक बाजार के हालात ही देखें तो यहां से ट्रकों से जाने वाली दवाओं की बुकिंग नहीं हो पा रही है। दवाओं के नए कोड जारी नहीं किए गए हैं। कैसे बुक करना है कारोबारी ही नहीं समझ पा रहा है। कैलाश गुप्ता ने कहा कि नए तैयार सॉफ्टवेयर तैयार होने व लगाने में कम से कम 15 दिन लगेंगे।