भारतीय किसान यूनियन (BKU) के संस्थापक और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने तीस साल पहले अक्टूबर 1988 को किसानों के एक बड़े विरोध-प्रर्दशन का दिल्ली के बोट क्लब में नेतृत्व किया था। अब खबर है कि उनका बड़ा बेटा भी एक ऐसी ही रैली का नेतृत्व करने जा रहा है। यह रैली भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में निकाली जाएगी, जो किसानों को लेकर सरकारी उदासीनता के विरोध में निकाली जाएगी। कृषि समाज की तरफ भाजपा सरकार की कथित उदासीनता के चलते हजारों की तादाद में किसान दो अक्टूबर को दिल्ली के किसान घाट में इकट्ठा होंगे। इस दौरान सरकार पर किसानों की विभिन्न मांगों को मानने के लिए जोर दिया जाएगा।

मामले में महेंद्र सिंह टिकैट के बड़े बेटे और BKU के अध्यक्ष नरेश ने बताया कि हम राजनीतिक अधिकारों के लिए सड़कों पर नहीं उतरे हैं बल्कि यह हमारे अधिकारों से जुड़ी मांग है। हमें गन्ने की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है जबकि चार साल पहले सत्ता में आई भाजपा अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है। हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी 21 बिंदुओं की मांग को पूरा नहीं किया जाता। बता दें कि किसान क्रांति यात्रा जो 23 सितंबर को हरिद्वार के टिकैट घाट से शुरू हुई थी, बीते शनिवार को मेरठ पहुंची। BKU संस्थापक टिकैत की मुत्यृ 15 मई, 2011 के बाद पहली बार है जब किसान रैली निकाल रहे हैं। इस रैली में टिकैत परिवार के चारों बेटों के अलावा उनकी पत्नियां, टिकैत के पोते भी भाग ले रहे हैं।

किसानों की जो मांगे की हैं उसमें किसानों को बिना ब्याज के कर्ज देना भी शामिल है। इसके अलावा आरोप है कि सरकार स्वामीनाथन आयोग को लागू करने में पूरी तरह नाकाम रही है। इस मामले में BKU के अध्यक्ष कहते हैं कि किसानों को अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़नी होगी। वो दो अक्टूबर को बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन के इकट्ठा होंगे। इसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के किसान भी भाग ले रहे हैं। वहीं BKU की महिला विंग की अध्यक्ष नेहा त्यागी ने कहा कि कृषि समुदाय के कल्याण की ओर सरकार के उदासीन रवैय ने उनमें से कई को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया। उनकी विधवाओं परिवार चलाने में कठिनाई का सामना कर रही हैं। और यही एक सबसे बड़ा कारण है कि इस आंदोलन में महिलाएं भी भाग ले रही हैं।