देश भर में भीड़ की हिंसा पर आयोजित एक कार्यक्रम में कांस्टीट्यूशन क्लब में भाग लेने आए जेएनयू के शोध छात्र उमर खालिद पर सोमवार को कथित रूप से गोली चलाई गई। कथित रूप से गोली चलाने वाले ने अपना पिस्तौल वहीं छोड़ दिया। नई दिल्ली क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त अजय चौधरी का कहना है कि हथियार की जांच की जा रही है और यह पता लगाया जा रहा है कि उससे गोली चली या नहीं चली। शुरुआती जांच के अनुसार जिस कार्यक्रम में उमर खालिद शामिल होने आए थे, उसकी अनुमति पुलिस से नहीं ली गई थी। घटना दोपहर ढाई बजे के पास हुई।
नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में सोमवार को देश भर में भीड़ की हिंसा (माब लिंचिंग) पर ‘खौफ से आजादी’ (यूनाइटेड अगेंस्ट हेट) नाम से एक कार्यक्रम आयोजित था। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, अरफा खानम शेरवानी, राज्यसभा सांसद मनोज झा, पूर्व सांसद अली अनवर, गोरखपुर के डॉ. कफील खान, पूर्व आइजी एसआर दारापुरी, नजीब की मां फातिमा नफीस, अलीमुद्दीन की मां मरियम, रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला, हापुड़ मामले का पीड़ित समीउद्दीन, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो अपूर्वानंद, वरिष्ठ पत्रकार अमित सेनगुप्ता, अधिवक्ता शादाब अंसारी बतौर वक्ता आमंत्रित थे। उमर खालिद अपने छात्र साथियों के साथ इसी कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे।
संयुक्त आयुक्त अजय चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम के बीच में खालिद कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर के चाय की दुकान पर साथियों के साथ खड़े थे तभी कुछ लोग आए और उन्हें पीछे से धक्का देना शुरू कर दिया। उमर के समर्थकों ने इसका विरोध किया और दोनों तरफ से धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इसी बीच एक व्यक्ति ने पिस्तौल निकाल ली। हथियार में गोली भरी हुई थी पर भीड़ ज्यादा होने के कारण पिस्तौल उसके हाथ से नीचे गिर गई। उससे गोली चली या नहीं, यह अभी जांच का विषय है। सूचना मिलते ही जिले के उपायुक्त मधुर वर्मा व पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उमर को तुरंत थाने ले जाकर उनके बयान लिए गए। पुलिस ने उसके साथियों, चश्मदीदों के बयान लिए और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। जांच के लिए आला अफसरों की कई टीमें बनाई गई हैं। पुलिस उस व्यक्ति की पहचान की कोशिश कर रही है जिसके हाथ में पिस्तौल थी और जो उनके साथ धक्का-मुक्की में शामिल थे।
नई दिल्ली जिले के पुलिस उपायुक्त मधुर वर्मा का कहना है कि गोली चली है या नहीं, यह पता लगाने के लिए हथियार को जांच के लिए एफएसएल भेजा गया है। पुलिस हमलावरों को बहुत जल्द गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। उमर पर गोली चलने की बात फैलते ही कांस्टीट्यूशन क्लब के अंदर और बाहर भारी भीड़ जुट गई। क्लब के मुख्य गेट को बंद कर दिया गया और बाहर निकलने वाले गेट से ही लोगों को सख्त जांच के बाद अंदर आने दिया गया। हालांकि इस हमले में उमर खालिद को गोली नहीं लगी। मौका ए वारदात पर मौजूद लक्ष्मीनगर से आए फरीद अनवर, आफाक और आराम पार्क से आए अहमद हुसैन ने बताया कि यह कार्यक्रम भीड़ की हिंसा पर आयोजित था और इसमें बाधा डालने के लिए यह साजिश रची गई।
खालिद ने कहा कि देश में खौफ का माहौल है और सरकार के खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति को धमकाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि गोली चलाने वाला कौन था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से मेरे खिलाफ इतना दुष्प्रचार किया गया है कि अब लोगों को लगता है कि ऐसे लोगों को मार दिया जाना चाहिए। एक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि कभी भी कुछ हो सकता है। ऐसे खौफ के माहौल में लोग कब तक जी पाएंगे। हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना था कि धक्का मुक्की की वजह से खालिद गिर गया और गोली उसके पास से निकल गई। गोली चलाने वाले को कुछ युवकों ने पकड़ने की कोशिश भी की लेकिन वह भीड़ का फायदा उठाते हुए भागने में सफल हो गया। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने एक बयान में कहा कि हमले के पीछे कौन है यह ढूंढना पुलिस का काम है। उन्होंने कहा कि हमले किस वजह से हो रहे हैं यह वजह हम सबको पता है।
उधर, इस घटना के बाद अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि देश में खौफ का माहौल है। कोशिश है कि जो सरकार के खिलाफ बोलेगा उसके खिलाफ ऐसी घटनाएं होगी। दिनदहाड़े कोई पिस्तौल लेकर आ गया, गोली चलाई और पिस्तौल फेंककर चला गया और अब तक पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी? यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले स्वामी अग्निवेश पर हमला हुआ। सोशल मीडिया पर भी सरकार की टेढ़ी निगाहें हैं। हमें लगता है कि इस स्थिति में एक खौफ और डर का माहौल बनाया जा रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कुछ लोगों ने उमर के साथ धक्का-मुक्की की। उमर के समर्थकों ने विरोध किया तो एक व्यक्ति ने पिस्तौल निकाल ली जो भीड़ की वजह से उसके हाथ से गिर गई। पुलिस ने पिस्तौल को कब्जे में ले लिया है।