जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और इस विश्वविद्यालय के दो अन्य छात्रों ने शुक्रवार (19 अगस्त) को दिल्ली की एक अदालत का रुख कर देशद्रोह के एक मामले में नियमित जमानत की मांग की। यह मामला फरवरी में विश्वविद्यालय परिसर में भारत विरोधी कथित नारेबाजी किए जाने का है। कन्हैया के अलावा अंतरिम जमानत पर बाहर उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने भी नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का रुख किया है। उनकी याचिकाओं पर शनिवार (20 अगस्त) को सुनवाई होगी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 अगस्त को कन्हैया की नियमित जमानत अर्जी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उसे इसके लिए सत्र अदालत का रुख करने को कहा था जिसके बाद यह कदम उठाया गया है।
उच्च न्यायालय ने दो मार्च को छह महीनों के लिए कन्हैया की अंतरिम जमानत मंजूर की थी जो एक सितंबर को समाप्त होने वाली है। खालिद और भट्टाचार्य की 18 मार्च को अंतरिम जमानत मंजूर करते हुए सुनवाई अदालत ने कहा था कि कन्हैया द्वारा निभाई गई भूमिका दोनों आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों से अलग नहीं प्रतीत होती है। अदालत ने दोनों को 25,000 रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानत राशि पर राहत दी थी। इसने उमर और अनिर्बान को अंतरिम जमानत के दौरान इजाजत के बगैर दिल्ली नहीं छोड़ने का निर्देश दिया था। साथ ही उन्हें जांच अधिकारी के समक्ष हाजिरी देते रहने और जांच के लिए जरूरत पड़ने पर उनके समक्ष पेश होने का निर्देश भी दिया था।
उच्च न्यायालय ने कन्हैया की सशर्त अंतरिम जमानत छह महीनों के लिए मंजूर करते हुए उससे कहा था कि वह ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिसे किसी भी रूप में राष्ट्रविरोधी करार दिया जा सके। कन्हैया की अंतरिम जमानत रद्द करने की दो लोगों की याचिका भी इसने 11 अगस्त को खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में आठ फरवरी के एक कार्यक्रम के सिलसिले में देशद्रोह के आरोप में कन्हैया को 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। कार्यक्रम में कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी नारे लगाए गए थे। बाद में उमर और अनिर्बान को भी गिरफ्तार किया गया था।