दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने कथित फर्जी डिग्री मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए आज एक सत्र अदालत से संपर्क किया। सत्र अदालत में दायर अपने आवेदन में तोमर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन कर कल उन्हें गिरफ्तार किया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने तोमर की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि कल इस मामले की सुनवाई होगी। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने तोमर के खिलाफ बतौर वकील अपने पंजीकरण के लिए शैक्षणिक डिग्रियों समेत दस्तावेजों में कथित रूप से फर्जीवाड़ा करने की शिकायत दर्ज करायी थी। इस शिकायत के आधार पर दर्ज प्राथमिकी पर दिल्ली पुलिस ने कल 49 वर्षीय तोमर को गिरफ्तार किया।
कल उन्हें मजिस्ट्रेट की एक अदालत ने चार दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया था। पुलिस ने यह कहते हुए उनकी पांच दिन की हिरासत मांगी थी कि कानून की डिग्री से संबधित शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी हैं और उनकी शैक्षणिक योग्यता का पता लगाने के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश के फैजाबाद एवं बिहार के भागलपुर ले जाने की जरूरत है।
पुलिस ने अदालत में कहा था कि तोमर जिन शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के असली होने का दावा कर रहे हैं, वे फर्जी हैं। प्रारंभिक जांच के दौरान पता चला कि इन प्रमाणपत्रों पर जिन अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, उन्होंने उनकी असलियत से इनकार किया।
जांच अधिकारी ने अदालत से कहा था कि बीसीडी की शिकायत के आधार पर प्राथमिक जांच की गयी और संबंधित विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट मिलने पर इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी।
तोमर के वकील ने कहा था कि पुलिस ने कानून के प्रावधानों का बिना पालन किए मंत्री को गिरफ्तार किया और सीआरपीसी की धारा 160 के तहत गिरफ्तारी से पहले कोई नोटिस नहीं जारी किया गया।
तोमर के विरुद्ध आठ जून को हौजखास थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और उन पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा, फर्जी दस्तावेजों को असली की तरह पेश करने, धोखा देने के इरादे से फर्जीवाड़ा और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया थ। पूर्व कानून मंत्री को हौज खास थाना लाया गया और फिर उन्हें वसंत विहार थाना ले जाया गया।
दिल्ली पुलिस मामले में और सबूत जुटाने के लिए उन्हें फैजाबाद ले गयी।