इसी साल मार्च के अंतिम हफ्ते में बीच सड़क पर कुत्ते ने एक मासूम पर हमला किया। जब उसकी मां पहुंची तो देखी कि उसके बेटे को कुत्ता नोंच रहा है। उत्तम नगर में दिल दहला देनेवाले इस वीडियो के सामने आने के बाद दिल्लीवालों के रोंगटे खड़े हो गए। कुत्ते को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह पागल है। वह दौड़ा-दौड़ाकर लोगों को अपना शिकार बनाने की कोशिश कर रहा था। कुत्ते से बचने के लिए लोग इधर-उधर भागते नजर आ रहे थे। एक बच्चा कुत्ते के बचने के चक्कर में भागते हुए गिर गया। कुत्ते ने उस पर ही हमला बोल दिया । यह देखकर बच्चे की मां उसे बचाने आई। मां तमाम कोशिश करती रही पर वह नहीं हटा। इसी बीच मुहल्ले के कुछ अन्य लोग आए और डंडों से भी कुत्ते के चंगुल से बच्चे को छुड़ाने की कोशिश की। पर कुत्ते ने बच्चे को काटकर बुरी तरह से घायल करने के बाद ही छोड़ा।
राजधानी दिल्ली के तीनों नगर निगमों की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में हर दिन दो सौ से ज्यादा लोग कुत्ते के काटने के शिकार हो रहे हैं। तीनों नगर निगमों में उत्तरी निगम में कुत्ते काटने की सबसे ज्यादा वारदात सामने आई है। पिछले साल जनवरी से लेकर इस साल अप्रैल तक की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी निगम में करीब 13, 943 हजार मामले अस्पतालों में दर्ज किए गए। जबकि पूर्वी निगम में बीते पांच महीने में ही इस साल 12,285 हजार कुत्ते काटने की वारदात अस्पताल में दर्ज हुई। दक्षिणी दिल्ली में आंकड़े थोड़े कम हैं। यहां पिछले एक साल में करीब 5,607 हजार मामले विभिन्न अस्पतालों में दर्ज किए गए।
उत्तरी नगर निगम के निदेशक प्रेस एवं सूचना योगेंद्र सिंह मान कहते हैं कि दिल्ली के उन इलाकों में ज्यादा कुत्ते काटने की घटनाएं हो रही हैं जहां झुग्गी बस्तियां ज्यादा हैं। कोठियों में रहने वाले कुत्तों को खाना नहीं देते लिहाजा स्लम और जेजे कालोनी की ओर कुत्ते ज्यादा भागते हैं क्योंकि वहां के लोग बचा-खुचा खाना आवारा कुत्तों को खिला देते हैं। मान दावा करते हैं कि निगम के कर्मी आवारा कुत्ते को पकड़कर बंध्याकरण के साथ उसे रेबीज की सूई देकर फिर वहीं छोड़ते हैं जहां से उसे पकड़ा जाता है।
पूरी दिल्ली में है कुत्तों का खौफ
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में कुत्ते काटने के जो आंकड़े दिए हैं उसके मुताबिक पिछले साल जनवरी में जहां 971 मामले दर्ज हुए वहीं इस साल जनवरी में यह आंकड़ा 723 था। बीते साल फरवरी में 943 और इस साल 663, बीते साल मार्च में 1074 और इस साल 820 और बीते साल अप्रैल में 1093 और इस साल 737 मामले कुत्ते काटने के दर्ज हुए। आंकड़े बीते साल मई में 1219, जून में 926, जुलाई में 855, अगस्त में 760, सितंबर में 687, अक्तूबर में 741, नवंबर में 835 और दिसंबर में 902 मामले सामने आए। इस साल अप्रैल तक यह आंकड़ा 13, 949 हजार तक पहुंच गया। यहां के दोनों स्वास्थ्य केंद्रों स्वामी दयानंद अस्पताल और पॉली क्लीनिक शाहदरा में कुत्ते काटने के आंकड़े इस प्रकार हैं-दयानंद अस्पताल में जनवरी में 1943, फरवरी में 1255, मार्च में 1155, अप्रैल में 174 और मई में 122 मामले सामने आए वहीं पॉलीक्लीनिक में जनवरी में 1773, फरवरी में 1713, मार्च में 1826, अप्रैल में 1967 और मई में 357 मामले कुत्ते काटने के सामने आए। यह आंकड़ा 12,285 हजार तक पहुंच गया।
रेबीज सभी कुत्तों में नहीं होता, लोग कुत्ते काटने की कई वजहों से लोग भयभीत हो जाते हैं। पहला कुत्ते ने काटा, दूसरा कई बार दांता गढाए और घाव की उसकी गहराई कितनी है और तीसरा काटने के बाद रेबीज विषाणु मस्तिष्क में कहां तक पहुंच पाया है। समय से दवाई और सूई लेने पर जान का कोई खतरा नहीं होता।
-योगेंद्र मान, प्रेस व सूचना निदेशक, दिल्ली निगम
