इन दिनों पैसे कमाने से ज्यादा निकालना मुश्किल हो गया है। नकदी और नोटों को लेकर चल रही व्यवस्था परिवर्तन के इस संक्रमण दौर में लोगों के जबान से पैसे निकालने की मुश्किल शगल बन गई है। इन दिनों ट्रेनों का इंतजार कर रहे यात्रियों का पड़ाव बने नई दिल्ली स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर से चंडीगढ़ जा रहे जनार्दन का कहना था कि दिल्ली में एटीएम से पैसे निकालना बहुत बड़ी समस्या है। जहां देखों वहां लंबी कतार। वहीं सरकार नए नोटों के बजाय कैशलेस लेन-देन पर लगी हुई है। जबकि पहले नोटों का बेहतर इंतजाम करना चाहिए, फिर डिजिटल की तरफ ध्यान देना चाहिए। उनका कहना था कि अपने कमाई के पैसे बैंकों से निकालना मुश्किल हो गया है। सरकार के बंदोबस्त पर सवाल खड़े करते हुए नई दिल्ली स्टेशन के पहाड़गंज की ओर एक यूनियन बैंक के एटीएम की कतार में लगे वैभव का कहना था कि स्टेशन पर न ट्रेनों की व्यवस्था बन पाई है न हीं बैंक और एटीएम की लाइने खत्म हुई हैं। वो दोनों ही समस्याओं पर सवाल खड़ कर रहे थे। उनका कहना था कि अभी कानपुर जाने के लिए आया हूं। जो गाड़ी मिल जाएगी, उसी से निकल जाऊंगा, क्योंकि सभी गाड़ियां देरी से चल रही हैं। इसलिए बेहतर है जनरल टिकट लो और सफर करो।
उनका कहना था कि इस बार भी कोहरे में गाड़ियां देरी से चल रही हैं, इसको लेकर सरकार का हर इंतजाम फेल दिख रहा है। उनका कहना था कि पैसे निकालने के लिए एटीएम की लाइन में वैसे ही कतार जारी है जैसे नोट बंदी के पहले दिन लगा था। हर एटीएम पर भीड़ या नो कैश की स्थिति है। ये दो ही विकल्प आज की व्यवस्था में मौजूद है। अगर आपको नकदी चाहिए तो लाइन में लगिए या आगे कम भीड़ वाला एटीएम खोजते रहिए। मुखर्जी नगर में सिविल की तैयारी कर रहे वैभव ने इसे व्यवस्था परिर्वतन का नकारात्मक दौर बताया। उनका कहना था कि खासकर अपने देश के लिए डिजिटल तकनीक बेहद खतरनाक है। इसका दूसरा पक्ष ये है कि आपका पैसा इसमें सुरक्षित नहीं है और लोग भी इसके लिए तैयार नहीं हैं। साथ ही कई बार डिजीटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रहे बिचौलियां कई तरह की सेवाओं में पैसे काटते हैं, जिससे सेवाएं महंगी हैं और उसको समझ पाना आम लोगों के लिए कठिन है। वहीं एटीएम की लाइन में उनके पीछे लगे सौरभ ने कैश रहित व्यवस्था को अच्छा कदम बताते हुए कहा कि कैश लेस व्यवस्था में कोई दिक्कत नहीं है। इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। डीजिटल लेन देन से लोगों पर नजर रख पाना आसान है। यह आराम से पता चल सकेगा कि किसने कितना खरीदारी की और आमदनी के स्रोत क्या रहे हैं। आगामी दिनों से ऐसी ही व्यवस्था विकसित होनी है।
