दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद पंजाब समेत कई राज्यों में सरकार बनाने का दावा कर रही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में दम तो है ही, तभी तो लोग इसका विरोध कर रहे हैं। कहा जाता है कि जिसमें दम न हो उसको कोई गंभीरता से क्यों लेगा। केजरीवाल दिल्ली समेत जहां भी सार्वजनिक आयोजन में जाते हैं, वहां उन्हें काले झंडे दिखाए जाते हैं, स्याही फेंकी जाती है या थप्पड़ मारने की कोशिश की जाती है। हालांकि इन सबसे केजरीवाल की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। उनके विरोधी यह भी आरोप लगाते हैं कि केजरीवाल जान-बूझ कर खुद को चर्चा में रखने के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं। मुमकिन है ऐसा होता भी हो, लेकिन उनकी यह रणनीति भी दूसरों पर भारी ही पड़ती है।
नई टीम, नया उद्घाटन
पकी रोटी पकाई! जी हां, जामिया में बीते दिनों कुछ ऐसा ही हुआ। मौका था छात्राओं के हॉस्टल के उद्घाटन का। दरअसल छात्राओं के लिए बने हॉस्टल का उद्घाटन तो दो साल पहले नजीब जंग के कुलपति रहने के दौरान सोनिया गांधी के हाथों हो चुका था। हालांकि वो कांग्रेसी कुनबा था। नई टीम उससे अलग जो ठहरी। लिहाजा नए एचआरडी मंत्री का असर भी दिखाना था। लिहाजा फिर से उद्घाटन हुआ, लेकिन बताया गया कि केंद्रीय मंत्री हॉस्टल के उद्घाटन नहीं बल्कि नामकरण के लिए आए हैं। लेकिन बताया तो ऐसे गया मानो नए हॉस्टल का उद्घाटन किया जा रहा हो। किसी ने तफरी ली कि शायद नए एचआरडी मंत्री को भी इसका पता न हो!
राजनीति की अति
केजरीवाल सरकार के नेता और मंत्रिगण राजनीति करने का कोई मौका नहीं चूकते और उनकी हर राजनीति का लक्ष्य गाहे-बगाहे केंद्र सरकार ही होती है। राजनीति की अति का आलम यह है कि जनता क्या, जो लोग सरकार से अलग-अलग कामों व आर्थिक उद्देश्यों से जुड़े हैं वो भी परेशान हैं और नहीं चाहते कि इस राजनीति में उनका दामन भी दागदार हो। इसलिए लगभग एक साल से सरकार के पीआर का कामकाज देख रही एजंसियों में से एक ने उससे दूरी बनाना ही उचित समझा। इसके पीछे का तत्कालीन कारण बना प्रगति मैदान में आयोजित ट्रेवल फेयर, जहां मेजबान दिल्ली के पर्यटन मंत्री ने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबी मुफ्ती पर हमला बोला और उनके बहाने भाजपा और मोदी सरकार पर निशाना साधा। मेजबान की मेहमाननवाजी औरों को कैसी लगी पता नहीं, लेकिन आयोजकों को कतई रास नहीं आई।
नाफरमानी की हद
नवंबर 2014 में सेक्टर-45 के खसरा नंबर 215 की जिस जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किया था। वहां दो साल के भीतर ही कई मंजिला फ्लैट खड़े हो गए हैं। भूमाफिया, अफसर और नेताओं के गठजोड़ के कारण प्राधिकरण की करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर सेक्टरवासियों की एक दर्जन से ज्यादा शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पूरे मामले में खास बात यह है कि 2014 में वर्क सर्कल-3 के परियोजना अभियंता की तरफ से ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किया गया था। अभी भी वही इस इलाके के परियोजना अभियंता हैं। 29 अगस्त को सेक्टरवासियों की शिकायत पर एसीईओ ने निर्माण कार्य रुकवा कर आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे। आरोप है कि एसीईओ के आदेश को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। हारकर अवैध निर्माण के सेक्टर-45 की आरडब्लूए ने यूपी के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह तक से परियोजना अभियंता की शिकायत कर दी है।
लाभ-हानि का हिसाब
गैरकानूनी तरीके से संसदीय सचिव बनाए गए आप के 21 विधायकों की सदस्यता पर चुनाव आयोग का फैसला किसी भी दिन आ सकता है। चुनाव आयोग के रुख से आप के नेताओं के पसीने छूटने लगे हैं। वे इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव से ज्यादा पंजाब चुनाव पर होने वाले इसके असर से परेशान हैं। दिल्ली हाई कोर्ट भी संसदीय सचिव के पद को गैरकानूनी मानकर रद्द कर चुका है। आप नेताओं की कोशिश है कि चुनाव आयोग का फैसला कुछ महीने टल जाए, ताकि पंजाब का चुनाव निकल जाए। माना जा रहा है कि उपचुनाव में आप फिर से सभी सीटें जीत नहीं पाएगी। इसी डर से आप नेता फैसला टलवाने में लगे हुए हैं।
-बेदिल
दिल्ली मेरी दिल्लीः नाम तो हो रहा है
दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद पंजाब समेत कई राज्यों में सरकार बनाने का दावा कर रही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में दम तो है ही, तभी तो लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
Written by जनसत्ता
लाहौर

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First published on: 17-10-2016 at 00:25 IST