दिल्ली सरकार में कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने गुरुवार (24 जनवरी, 2019) को प्रिंसिपल सेक्रेटरी (लॉ) को कारण बताओ नोटिस भेजा है। इसमें बिना उनकी मंजूरी के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह से जुड़ा मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर एतराज जताया है। जेएनयू के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के खिलाफ फरवरी, 2016 में यूनिवर्सिटी परिसर के भीतर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है। कुमार के अलावा अन्य लोगों के खिलाफ भी देश विरोधी नारेबाजी करने का आरोप है। गहलोत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की फाइल को अब समीक्षा के लिए कानून विभाग को वापस भेजना होगा। दिल्ली सरकार की मंजूरी के बगैर कन्हैया कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। फाइल वर्तमान में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन के पास है।

बता दें कि राजद्रोह के मामले में आपराधिक प्रक्रिया के तहत पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होती है, जिसके बिना कोर्ट दस्तावेजों कां संज्ञान नहीं ले सकती। इसी मामले के तहत कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी (लॉ) एके मेंदीरत्ता कारण बताओ नोटिस भेजा है। जिसमें व्यापार नियमों के लेनदेन के नियम 13 की ओर इशारा किया। इस नियम के चलते कोई भी निर्णय या विचार किसी भी प्रमुख सचिव द्वारा प्रभारी मंत्री की स्वीकृति के बिना नहीं लिया जा सकता है।

21 जनवरी को भेजे गहलोत के नोटिस में आगे लिखा गया, ‘फाइल अप्रूवल के लिए कानून मंत्री के पास भेजने की बजाय प्रिंसिपल सेक्रेटरी (लॉ) ने 18 जनवरी को इसे सीधे प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) के पास भेज दिया।’ नोटिस में आगे लिखा गया कि ‘ऐसा लग रहा है कि मंत्री के विचार रेकॉर्ड में दर्ज ना हो सकें इसके लिए आपने ऐसा सोच-समझकर किया है।’ मामले में जब एके मेंदीरत्ता से उनका पक्ष जानना चाहा उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया।