‘सेनापति अगर अपने सिपाहियों पर ही भरोसा न करे तो किसी भी जंग में जीत हासिल नहीं की जा सकती’ दिल्ली सरकार के अधिकारियों के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर आजकल यही धारणा बनी हुई है। मुख्यमंत्री के हाल के कई फैसलों और आदेशों से एक तरह से ‘नौकरशाह बनाम केजरीवाल सरकार’ की स्थिति बन गई है। ये हालात कोई अच्छे संकेत तो नहीं देते। बहरहाल केजरीवाल के फैसलों से नाराज अधिकारी दिसंबर 2015 के अंत में हड़ताल पर चले गए थे। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इस बार वैसी स्थिति शायद नहीं आएगी क्योंकि केजरीवाल कहीं न कहीं अब कमजोर पड़ चुके हैं।
हाल ही में केजरीवाल सरकार की तरफ से ऐसे कई आदेश आए जिससे हुकूमत और सूबे की नौकरशाही की पुरानी लड़ाई एक बार फिर से तेज होती जान पड़ रही है। सबसे ताजा उदाहरण पीडब्लूडी सचिव अश्विनी कुमार का है।
जिनके खिलाफ अपनी जिम्मेदारी न निभाने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने मुख्य सचिव को कार्रवाई करने का आदेश दे दिया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि मॉनसून की तैयारियों को लेकर व्यक्तिगत रूप से दौरा कर निरीक्षण के विशेष निर्देश की पीडब्लूडी सचिव ने अनदेखी की, वह अपने वातानुकूलित कार्यालय से बाहर नहीं निकलना चाहते। इसके जवाब में कुमार ने कहा कि हर काम की निरंतर समीक्षा हो रही है, मॉनसून की तैयारी के चुनौतिपूर्ण काम में आरोप प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा। गौरतलब है कि पीडब्लूडी ने आप के राउज एवेन्यु स्थित कार्यालय को खाली करने का नोटिस भेजा है और लगभग 27 लाख का दंडात्मक किराया भरने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक यदि आम आदमी पार्टी कार्यालय खाली नहीं करती है तो पार्टी के बैंक खाते को अटैच किया जा सकता है।
इसी तरह जून के पहले हफ्ते में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मुख्य सचिव को लिखते हैं कि जीएसटी के मुद्दे पर फेसबुक लाइव न कराने वाले डीआइपी के निदेशक जयदेव सारंगी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जो बात सामने आई उसके मुताबिक सारंगी लाइव के लिए टेंडर करवाने की बात कह रहे थे, जबकि सिसोदिया का कहना था कि लाइव के लिए केवल इंटरनेट और मोबाइल कैमरे की जरूरत होती है। गौरतलब है कि ‘टॉक टू एके’, जो बगैर टेंडर के किया गया था, मामले में सीबीआइ जांच चल रही है।
