रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के तहत बन रहे दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी (शाहजहांपुर-नीमराना-बेहरोर) कॉरिडोर के तैयार होने के बाद दिल्ली-एनसीआर का एअरोसिटी के साथ संपर्क बेहतर हो जाएगा। इसके बाद सरायकाले खां से एअरोसिटी तक का सफर तय करने में महज 15 मिनट ही लगेंगे। इसी तरह राजीव चौक से एअरोसिटी जाने में 10 मिनट से भी कम का समय लगेगा और करीब एक घंटे में एअरोसिटी से मेरठ पहुंचा जा सकेगा। यात्रा के समय में बचत के साथ ही यह कॉरिडोर वायु प्रदूषण में भी कमी लाएगा। पहले चरण में दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी आरआरटीएस कॉरिडोर को लागू किया जाएगा। 106 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर में लगभग 71 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड होगा, जिसमें 11 स्टेशन होंगे। बाकी का 35 किलोमीटर हिस्सा भूमिगत होगा, जिसमें कुल पांच स्टेशन होंगे। भूमिगत हिस्सा ज्यादातर दिल्ली और गुरुग्राम में होगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के सीपीआरओ सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि यह कॉरिडोर सरायकाले खां में दूसरे आरआरटीएस कॉरिडोर के साथ जुड़ा होगा और यात्रियों को बिना ट्रेन बदले एक से दूसरे कॉरिडोर तक आवाजाही की सुविधा प्रदान की जाएगी।
इंटरऑपरेबल सिस्टम की मदद से बिना किसी रुकावट के आरआरटीएस ट्रेनें एक से दूसरे कॉरिडोर तक आवागमन की सुविधाएं देंगी, जिससे बिना ट्रेन बदले यात्रियों के लिए एक से दूसरे रूट पर जाना मुमकिन होगा। शर्मा ने बताया कि आरआरटीएस एनसीआर के निवासियों के लिए काफी फायदेमंद रूट होगा। तेज रफ्तार वाली आरआरटीएस ट्रेनें हर पांच से 10 मिनट पर चलेंगी, जिससे यात्रियों को जाम और प्रदूषण जैसी रोजमर्रा की परेशानियों से राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि आरआरटीएस की योजना के मुख्य पहलुओं में से एक आरआरटीएस स्टेशनों पर ‘मल्टी-मॉडल’ समन्वय बनाना है, जिसमें परिवहन के अन्य साधन जैसे एअरपोर्ट, मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन व इंटर स्टेट बस टर्मिनस को भी शामिल किया गया है। यानी ये सभी आपस में जुड़े रहेंगे। इससे यात्रियों को बेहद आसानी होगी और वॉकवे, एस्केलेटर व लिफ्ट के जरिए वे एक परिवहन सेवा से दूसरे पर आसानी से जा सकेंगे। शर्मा ने बताया कि भारी बारिश और कोहरे की स्थिति में बुरी तरह से प्रभावित होने वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों से उलट आरआरटीएस पर ऐसी स्थितियों का कोई असर नहीं होगा। इससे एनसीआर क्षेत्र में वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी कम हो जाएगा।
