राजधानी दिल्ली शनिवार की शाम से ही क्रिसमस के जश्न में सराबोर हो गई। इस साल सप्ताहांत में आए क्रिसमस ने लोगों की मौज-मस्ती को दुगना कर दिया है। दिल्ली में 150 से ज्यादा रेस्तरां व पबों में क्रिसमस से जुड़े आयोजन हुए, लेकिन यह कार्यक्रम खान-पान, गीत-नृत्य और मौज-मस्ती के रूप में ही हुआ। ईसाई समुदाय और चर्च का यह पर्व दिल्लीवालों के लिए डूब कर जीने का बहाना भी बनता दिखा। वहीं क्रिसमस का मुख्य कार्यक्रम नॉर्थ एवेन्यू स्थित द कैथैड्रल चर्च आॅफ द रिडेंप्शन और गोल मार्केट स्थित सेक्रेड हार्ट चर्च में हुआ।

क्रिसमस पर शनिवार और रविवार को हुए कार्यक्रमों में दिल्ली के मझोले रेस्तरां से लेकर पांच सितारा होटलों तक ने कुछ न कुछ रंगीनी बिखेरी। कई जगह तो यह मौज-मस्ती हफ्ते भर चलेगी। 24 दिसंबर को शुरू हुए कार्यक्रमों को कई होटल व पब तो नए साल तक जारी रखने वाले हैं। कई जगह ऐसे समारोहों में शामिल होने के लिए भारी-भरकम टिकट लगाए हैं। मसलन, गुड़गांव के सेंटर आॅफ स्पिरिट में ‘क्रिसमस करिश्मा’ में शामिल होने के लिए 4000 रुपए देने होंगे। इसी तरह पंजाबी बाग में क्रिसमस केक में शामिल होने का टिकट 1500 रुपए है। इसके अलावा कई रेस्तरां ने अपने टिकट ‘मांग और पूर्ति’ के नियम के हवाले कर मौके पर ही पंजीयन का एलान कर रखा था।

दक्षिणी दिल्ली के आॅड-ईवन क्लब ने शनिवार को ‘जंगल डे जाम-16’ का आयोजन किया तो ‘द जंक्शन क्लब’ ने द विअर आॅफ क्रिसमस फन फेयर का आयोजन किया। लंदन क्लब ने ‘मैरी क्रिसमस पार्टी’ रखी तो ली-मेरिडियन होटल ने ‘जैक एंड जिल विद सांता’ का कार्यक्रम रखा। इसके अलावा कई जगह लाइव म्यूजिक, पॉप म्यूजिक व डीजे आदि ने समां बांधा। इस कड़ी में दिल्ली के लेजर वैली ग्राउंड में ‘क्रिसमस ब्लास्ट-अहसास’ कार्यक्रम के तहत कई गायकों ने पेशकश दी।

दिल्ली की कई मिशनरी संस्थाओं मसलन, स्कूलों व अस्पतालों में पूरे हफ्ते की छुट्टी है। इसके बावजूद दिल्ली में तय तारीख पर भी क्रिसमस मनाया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी ईसाई समुदाय की धार्मिक संस्था चर्च ने उठाई। जहां इस बाबत तैयारियां शनिवार शाम को ही पूरी कर ली गई थीं। कई चर्चों में सांता क्लॉज से लेकर क्रिसमस ट्री बनाए गए। दिल्ली के सभी चर्च शनिवार को रात भर खुले रहे और श्रद्धालुओं ने प्रार्थना की लंबी परंपरा भी निभाई। क्रिसमस पर सभी चर्चों में पादरी एक निश्चित विधि का पालन कर समारोह को संपन्न करते हैं, जिसमें ईसा मसीह के जीवन-वृत्तांत की गाथा वरण करना शामिल होता है। करीब चार घंटे तक चलने वाले इस समारोह में यीशु के जन्म से लेकर उनकी मौत और फिर पुनर्जन्म और उनके संदेश को समझाया गया।