चीन ने 28 दवाओं पर से आयात शुल्क खत्म कर दिया है। ये दवाएं भारत में बनाई जाती हैं और भारतीय कंपनियां चीन को निर्यात करती हैं। इनमें कैंसर रोधी दवाएं ज्यादा हैं। यह फैसला एक मई से लागू कर दिया गया है। भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने इस आशय की जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय को भेजी है। साथ ही, उन्होंने इस बारे में ट्वीट कर कहा, चीन ने 28 दवाओं पर लगने वाले आयात शुल्क को खत्म कर दिया है। यह भारतीय दवा उद्योग और औषधि निर्यात के लिए अच्छी खबर है। मुझे भरोसा है कि इससे चीन और भारत के बीच निकट भविष्य में व्यापार असंतुलन कम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता के हफ्ते के भीतर आए इस फैसले का भारत में स्वागत किया जा रहा है।
चीनी राजदूत ने इसके साथ ही भरोसा दिया है कि बाहरी दुनिया के लिए चीन के दरवाजे और खोले जाएंगे। उन्होंने विदेश मंत्रालय के लिखा है, भारतीय कारोबारियों का स्वागत है। वैसे भारत ने भी चीन से निवेश बढ़ाने का आग्रह किया है। इस पर चीन भारत में एक इंडस्ट्री पार्क बनाने पर सहमत हो गया है, ताकि निवेश बढ़ सके और व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सके। लुओ ने कहा कि चीन अभी अपने कारोबारी माहौल में और सुधार करेगा, वहां कारोबार शुरू करने की इजाजत के लिए लगने वाले समय को आधा किया जाएगा। अब कुछ अहम बीमारियों की दवाओं पर आयात शुल्क घटने से भारतीय कंपनियों के लिए वहां का बाजार खुलेगा। मोटे तौर पर चीन में कैंसर की दवाओं का बाजार सालाना 19-20 अरब डॉलर है। इस बीमारी के लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण दवाएं भारतीय कंपनियों की मानी जाती हैं। 2016 में चीन ने 39 दवाओं के निर्यात की अनुमति भारतीय कंपनियों की दो थी। इनमें 17 कैंसर दवाएं हैं। चीन में हर साल 35 लाख मरीजों में कैंसर के नए मामले आते हैं।
चीन के ताजा फैसले के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा घटने की उम्मीद जताई जा रही है। चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए भारत की पुरानी मांग थी कि उसकी कंपनियों को दवा निर्यात में छूट बढ़ाई जाए। चीन अभी तक इस बारे में ना-नुकुर कर रहा था। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत और चीन के बीच 60 अरब डॉलर का व्यापार घाटा था, जो चीन के पक्ष में था। मतलब भारत में चीन से होने वाले आयात के मुकाबले यहां से होने वाला निर्यात काफी कम था। वर्ष 2017-18 में भारत ने चीन को महज 12 अरब डॉलर का निर्यात किया है, जबकि आयात 72 अरब डॉलर का रहा।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय का आंकड़ा है कि यहां की दवा कंपनियों ने चीन के साथ अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के बीच 37.44 मिलियन डॉलर का कारोबार किया। लेकिन यह चीन के सालाना बाजार की तुलना में कुछ भी नहीं है। अब तक चीन अपनी अधिकांश दवाएं उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, यूरोपीय समुदाय, आसियान देशों, लैटिन अमेरिका, मध्य एशिया आदि से खरीदता रहा है। अब भारतीय कंपनियों का कारोबार बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
1. एक मई से लागू हो गया फैसला, चीनी राजदूत ने दी जानकारी
2. भारतीय दवा निर्माता कंपनियों का चीन में बाजार बढ़ेगा
3. कैंसर की दवाओं की आपूर्ति में भारतीय हिस्सेदारी बढ़ेगी
4. भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा घटने की उम्मीद

