कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने मंगलवार (24 अप्रैल, 2018) को कहा कि कास्टिंग काउच एक ऐसी कड़वी सच्चाई है जो सिर्फ फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे कोई कार्यस्थल, यहां तक कि संसद भी अछूती नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला करते हुए रेणुका ने आरोप लगाया कि मोदी ने तब उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई, जब उन्होंने एक बहस के दौरान राज्यसभा में कहा कि उन्हें (रेणुका को) देखकर उन्हें (मोदी) टेलीविजन पर दिखाए गए रामायण धारावाहिक की याद आ गई। रेणुका ने कहा, “भारत में वह समय आ गया है जब कहा जाए- ‘मी टू’।” उनका यह बयान उस वक्त आया, जब बॉलीवुड की जानी-मानी नृत्य निर्देशक सरोज खान ने कास्टिंग काउच की संस्कृति का बचाव किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “यह कड़वी सच्चाई है। यह सिर्फ फिल्म उद्योग में नहीं है। यह हर कार्यस्थल पर होता है। इसकी कल्पना मत करिए कि इससे संसद अछूती है या कुछ अन्य कार्य स्थल इससे अछूते हैं। अगर आप आज पश्चिमी जगत को देखें तो बड़ी अभिनेत्रियां भी सामने आईं और कहा ‘मी टू’।” उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी ने मेरी गरिमा, मेरी मर्यादा छीनी।जब उन्होंने कहा कि मुझे देखकर उन्हें शूर्पणखा की याद आ गई। ठीक है, मैं शूर्पणखा हूं और सीता नहीं बनना चाहती।” मोदी ने फरवरी में हुई बहस के दौरान हालांकि शूर्पणखा का नाम नहीं लिया था। रेणुका के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता पी एल पूनिया ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है।
पिछले साल हॉलीवुड में यौन शोषण के मामले सामने आने के बाद यौन अपराधियों के खिलाफ ‘मी टू’ अभियान शुरू हुआ था। दरअसल, ‘मी टू’ अभियान के मद्देनजर दिए एक बयान में सरोज खान ने इसके लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि कास्टिंग काउच कोई नई बात नहीं है। सरोज खान (69) ने टेलीविजन नेटवर्क और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही मीडिया के साथ उनकी बातचीत के वीडियो को लेकर फोन पर कहा, “मैंने पहले ही कहा है कि मैं माफी मांगती हूं, लेकिन आप वह सवाल नहीं जानते जो मुझसे पूछा गया था और अब इस पर काफी हंगामा हो गया है।”
वहीं, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि बॉलीवुड में कास्टिंग काउच है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता और एक ऐसा वर्ग है जो सिर्फ महिलाओं को शोषित करने के उद्देश्य से फिल्म बनाता है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे आम बात नहीं कहा जा सकता और ऐसी सोच रखने वालों की संख्या बेहद कम है।