मोदी सरकार ने बाबा साहब भीम राव आंबेडकर, ज्योति बा फुले, संत रविदास, कबीरदास जैसे महापुरुषों पर आधारित कार्यक्रमों के जरिए दलितों सहित समाज के कमजोर वर्गों तक पहुंच बनाने की पहल की है। इसमें ऐसे महापुरुषों से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन करने वाली संस्थाओं को आर्थिक मदद देने का निर्णय किया गया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने महापुरुषों की जयंती मनाने, महापरिनिर्वाण दिवस या कोई अन्य दिवस या कार्यक्रम के लिए, उन महापुरुषों की सोच एवं विचार को प्रचारित करने के लिए आर्थिक मदद देने का निर्णय किया है। अगर कोई संस्थान बाबा साहब भीम राव आंबेडकर, ज्योति बा फुले, रविदास, कबीरदास, गुरु घासी राम समेत ऐसे महापुरुषों, जिन्होंने समाज के कमजोर वर्गों एवं पिछड़ों के कल्याण के लिए काम किया हो, उनकी जयंती या पुण्यतिथि मनाता है, तो सरकार उन संस्थाओं को आर्थिक मदद देगी।

गहलोत ने कहा कि पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया है। कोई एनजीओ, सामाजिक संगठन या पंजीकृत संगठन ऐसे महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि या उनसे जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन करती है तो हम उन्हें पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता देते हैं।सरकार ने बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष मनाने का निर्णय किया है।

आंबेडकर से जुड़े स्थलों को पंचतीर्थ घोषित किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने हमसे कहा है कि जहां भी आंबेडकर से संबंधित स्थान हैं, उनको हम तीर्थ के रूप में घोषित करें। मंत्रालय ने तय किया है कि आंबेडकर की जन्मस्थली इंदौर जिले में महू को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा और इस दिशा में महू का नाम आंबेडकर नगर कर दिया गया है। जहां आंबेडकर ने पढ़ाई की, उन स्थानों पर विश्वविद्यालय के 100 छात्रों को भारत सरकार के खर्च पर भेजा गया। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार बाबा साहब की जन्मस्थली को तीर्थ घोषित किया गया। उनकी शिक्षा स्थली ‘लंदन’ में जहां उन्होंने अध्ययन किया, उसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया।