श्वेता दत्ता

पंजाब और गोवा के विधान सभा चुनाव और दिल्ली के नगरपालिका चुनाव में मनमुताबिक नतीजे न मिलने के बावजूद आम आदमी पार्टी अगले साल होने वाले राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए कमर कस रही है।  राजस्थान में 2018 के आखिर में चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी राज्य का राजनीतिक तापमान समझने के लिए जमीनी सर्वे कर रही है। आम आदमी पार्टी प्रदेश में कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक और  भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर का लाभ उठाना चाहती है। राजस्थान में अभी वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार है।

आम आदमी पार्टी की राजस्थान इकाई के साथ काम कर रहे एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “वसुंधरा राजे सरकार लोगों से किया वादा निभा नहीं पा रही है इसलिए उसके खिलाफ लोगों में बहुत गुस्सा है। भाजपा सरकार दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले जैसों मुद्दों पर ध्यान भी नहीं दे रही है। कांग्रेस एख अच्छा विकल्प हो सकती थी लेकिन वो अपने घरेलू कलह में उलझी हुई है।”

कांग्रेस ने हाल ही में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुजरात का प्रभारी बनाया है जहां इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। माना जा रहा है कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को राज्य की पूरी कमान सौंपने के लिए ही गहलोत को किनारे किया गया है। आम आदमी पार्टी के नेताओं का दावा है कि दिसंबर 2013 में सचिन पायलट को राज्य इकाई का प्रमुख बनाए जाने के बाद भी पार्टी की हार हुई थी। राजस्थान में कुल 200 विधान सभा सीटें हैं।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया था लेकिन पंजाब, गोवा और दिल्ली में सिसोदिया की व्यसतताओं के चलते हाल ही में कुमार विश्वास को राजस्थान प्रभारी नियुक्त किया गया है। कुमार विश्वास को राज्य का प्रभारी नियुक्त किए जाने से पहले आम आदमी पार्टी के अंदर काफी घमासान मची थी और विधायक अमानतुल्लाह को पार्टी से निकालना पड़ा था।

विश्वास ने अभी तक आधिकारिक तौर पर राजस्थान का प्रभार नहीं ग्रहण किया है, न ही उन्होंने राज्य का दौरा किया है। इस साल गुजरात के अलावा अगले साल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी विधान सभा चुनाव होने हैं। आप के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार अगले कुछ हफ्तों में पार्टी फैसला करेगी कि उसे किन-किन राज्यों में आगामी चुनाव लड़ने हैं।