पत्नी के साथ जबरदस्ती Unnatural sex करने का आरोप झेल रहे पति ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उसकी दलील है कि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि ‘मैरिटल रेप’ भारत में अपराध नहीं है। याचिकाकर्ता ने 2013 में महिलाओं के खिलाफ सेक्सुअल अपराधों को सख्य किए जाने के तहत हुए संशोधनों पर भी कानूनी स्थिति साफ करने की मांग की है। अपनी याचिका में, अब्दुल्ला खान ने दावा किया है कि बलात्कार से जुड़े IPC सेक्शंस में संसद द्वारा बदलाव किए जाने के बाद कानूनी ‘असंगति’ है। उन्होंने तर्क दिया कि IPC का सेक्शन 377 (Unnatural sex) सजा के योग्य है, 2013 के विशेष संशोधन मैरिटल सेक्स की रक्षा करते हैं चाहे वे बिना मर्जी ही क्यों न किए गए हों।
एक हाई कोर्ट बेंच ने केन्द्रीय विधि मंत्रालय और दिल्ली सरकार से खान की याचिका पर जवाब मांगा है। खान ने सेक्शन 377 के तहत साकेत कोर्ट में चल रहे ट्रायल को चुनौती दी है। खान को 2014 में उनकी पत्नी की जबदस्ती unnatural sex करने शिकायत पर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। चीफ जस्टिस जी रोहिणी और जस्टिस संगीता ढींगरा ने मामले की सुनवाई 29 अगस्त को करने की बात कही है।
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2013 में खान ने एक 20 साल की महिला से शादी की। बाद में उसने खान के खिलाफ बलात्कार और अननैचुरल सेक्स की FIR दर्ज करा दी। ट्रायल कोर्ट ने रेप के आरोप से तो खान को बरी कर दिया लेकिन अननैचुरल सेक्स के मामले में ट्रायल जारी है। जनवरी 2015 में खान को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी।