दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार मंगलवार को अपनी दूसरी सालगिरह का जश्न मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गैरहाजिरी में मनाएगी क्योंकि केजरीवाल इलाज के लिए फिलहाल बंगलुरु में हैं। हालांकि आप सरकार ने इस बार कोई सार्वजनिक सभा या आयोजन नहीं किया है। वहीं दिल्ली की जनता के मुताबिक, आम आदमी की दुहाई देकर सत्ता में आई आप सरकार ने आम आदमी से ही दूरी बना ली है। दिल्ली सचिवालय से लेकर मुख्यमंत्री और मत्रियों तक आम आदमी की पहुंच कठिन होती जा रही है। 14 फरवरी 2015 को रामलीला मैदान में शपथ लेने वाली सरकार ने सौ दिन पूरे होने का जश्न कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में मनाया था। सरकार बनने के बाद से ही दिल्ली के उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार से लड़ने वाली सरकार बीते दिनों दिल्ली की अनदेखी कर पूरी तरह पंजाब चुनाव में लगी रही। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने तो आरोप भी लगाया है कि केजरीवाल बंगलुरु इलाज कराने नहीं, बल्कि पंजाब चुनाव की थकान उतारने गए हैं। अगर वास्तव में उन्हें हर तीन महीने में इलाज की जरूरत है तो दिल्ली को बीमार नहीं, एक स्वस्थ मुख्यमंत्री की जरूरत है। हालांकि दो साल की आप सरकार के खाते में बिजली के बिल आधे करने और और हर महीने बीस हजार किलो लीटर पानी मुफ्त देने के अलावा कोई ठोस उपलब्धि नहीं है। बिना नियम पालन के विधानसभा में पास किए गए आधे-अधूरे जनलोकपाल बिल सहित 13 अन्य बिल आज भी केंद्र सरकार के पास अटके पड़े हैं। दिल्ली में न तो 25 लाख सीसीटीवी कैमरे लगे और न ही बसों में महिला सुरक्षा के लिए मार्शल तैनात किए गए। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली सुधारने के लिए सरकार ने दस हजार बसें चलाने का दावा भी किया था। इन दो सालों में नई बस तो एक भी नहीं आई, लेकिन पुरानी बसों में से करीब 2000 बसें कबाड़ जरूर बन गर्इं।
पारदर्शी और ईमानदार सरकार देने के दावों पर भी आप सरकार खरी नहीं उतरी। केजरीवाल ने खुद अपने एक मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में हटाया और एक मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में पहले ही साल जेल चले गए। उन्हें आज तक पार्टी से नहीं निकाला गया। एक मंत्री सेक्स सीडी कांड में जेल गए। भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने वाले आप विधायकों की सूची लंबी हो गई है। सरकार में लापरवाही का आलम यह है कि सात सदस्यों के मंत्रिमंडल में एक मंत्री की जगह महीनों से खाली है। मुख्यमंत्री के पास कोई विभाग नहीं है। गोपाल राय, कपिल मिश्र और इमरान हाशमी के पास नाम मात्र के विभाग हैं। सारे विभाग उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के पास हैं। मुख्यमंत्री के सबसे खास अधिकारी राजेंद्र कुमार भी भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे हैं। आप सरकार की अधिकारों को लेकर उपराज्यपाल से भी जंग छिड़ी रही रही। दिल्ली हाई कोर्ट के 4 अगस्त को आए फैसले में उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख बताया गया, जिसके बाद उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के कामकाज की जांच के लिए पूर्व सीएजी वीके शुंगलू की अगुवाई में एक समिति बनाई। हालांकि समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने देने पर उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह पर पूर्व नौकरशाह अनिल बैजल को दिल्ली का उपराज्यपाल बनाया गया, जिनका रुख केजरीवाल सरकार के प्रति नरम लग रहा है। हालांकि बीते कई महीनों तक दिल्ली की पूरी सरकार पंजाब चुनाव में व्यस्त रही, शायद इसलिए भी उपराज्यपाल के साथ उसके टकराव की खबरें नहीं आर्इं।
