तेल कंपनियों को डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये का नुकसान हो रहा है। यह नुकसान कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद दाम नहीं बढ़ने की वजह से हो रहा है। इन कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को इस बारे में पत्र लिखा उचित कदम उठाने की मांग की है।

Jio-BP और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों ने इस बारे में सरकार को आगाह किया है। हालांकि इससे पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (FIPI) ने 10 जून को पेट्रोलियम मंत्रालय से कहा था कि पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर नुकसान से खुदरा कारोबार में निवेश सिमट जाएगा। एफआईपीआई में निजी क्षेत्र की कंपनियों के अलावा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) शामिल हैं।

छह अप्रैल से ईंधन के खुदरा दाम नहीं बढ़े हैं। वहीं राज्य परिवहन उपक्रमों जैसे थोक खरीदारों को बेचे जाने वाले ईंधन के दाम में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप बढ़ोतरी हुई है। एफआईपीआई ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में थोक खरीदार खुदरा आउटलेट से खरीद कर रहे हैं जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों का नुकसान और बढ़ रहा है।

तेल कंपनियों ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की गई है। एफआईपीआई ने कहा कि निजी क्षेत्र की सभी पेट्रोलियम कंपनियां खुदरा क्षेत्र में भारी निवेश कर रही हैं। लेकिन इस समय उन्हें एक मुश्किल हालात से जूझना पड़ रहा है। इससे निजी कंपनियों की निवेश के साथ-साथ परिचालन की क्षमता प्रभावित हो रही है। वो अपने नेटवर्क का भी विस्तार नहीं कर पा रही हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में उछाल से कीमतें एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। लेकिन सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने पेट्रोल और डीजल कीमतों को स्थिर किया हुआ है। सरकारी कंपनियों का ईंधन खुदरा कारोबार में 90 प्रतिशत का हिस्सा है। इस समय ईंधन के दाम लागत लागत के दो-तिहाई पर ही हैं, जिससे निजी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। जियो-बीपी, नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों के समक्ष इससे अपने ग्राहक गंवाने का संकट पैदा हो गया है।