लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा संघ राज्य क्षेत्र यानी केंद्र शासित प्रदेश है। भारत के मालदीव के तौर पर विख्यात लक्षद्वीप एक द्वीपसमूह है, जिसमें 36 द्वीप (आइलैंड) हैं। लक्षद्वीप को अपने सुंदर, मनोहारी और सूरज को चूमते हुए समुद्री तटों और हरे भरे प्राकृतिक नजारों के लिए जाना जाता है। इन दिनों देश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक लक्षद्वीप के समंदर में सियासी तूफान आया हुआ।
लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा मसविदा नियमों के रूप में पेश किए गए प्रशासनिक दिशानिर्देशों- नियमन के खिलाफ लक्षद्वीप द्वीपसमूह में विरोध बढ़ रहा है। मसौदा नियमों और प्रशासनिक दिशानिर्देशों ने लक्षद्वीप के साथ ही देश की राजनीति में भी उबाल ला दिया है। केरल से कर्नाटक तक के तटीय इलाकों में सियासी हलचल और विरोध के सुर कुछ ज्यादा तीखे दिख रहे हैं। प्रशासक और लक्षलीप के प्रशासन ने नए नियमन को विकास से जोड़ते हुए प्राकृतिक संरक्षण का हवाला देते हुए सुधारवादी बताया है। लेकिन लक्षद्वीप की स्थानीय आबादी से लेकर पक्ष और विपक्ष यानी भाजपा, कांग्रेस और एनसीपी आदि दलों के राजनेता भी इन नियमों और आदेशों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

नए मसविदा नियम और विरोध
प्रशासक खोड़ा पटेल के मसविदा नियमों के रूप में पेश किए गए प्रशासनिक दिशानिर्देशों- नियमन इस प्रकार से हैं- एक, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 मसविदा में प्रशासक को विकास के उद्देश्य से किसी भी संपत्ति को जब्त करने और उसके मालिकों को स्थानांतरित करने या हटाने की अनुमति है। दो, असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टीविटीज एक्ट के तहत किसी व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से गिरफ्तारी का खुलासा किए बिना सरकार द्वारा एक साल तक हिरासत में रखने की अनुमति है। तीन, मसविदा पंचायत चुनाव अधिसूचना के तहत किसी ऐसे व्यक्ति को पंचायत चुनाव लड़ने से रोका जाएगा, जिसके दो से अधिक बच्चे हैं। चार, लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन के तहत स्कूलों में मांसाहारी भोजन परोसने पर प्रतिबंध के साथ-साथ गोमांस की बिक्री, खरीद या खपत पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है।

पांच, नए मसविदा कानून के तहत लक्षद्वीप में शराब के सेवन पर रोक हटाई गई है। लक्षद्वीप में इन दिशानिर्देशों के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब देश की मुख्यभूमि तक पहुंच गया है। आरोप है कि प्रशासक द्वारा क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान नष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

द्वीपसमूह की 60,000 से अधिक आबादी में से 90 फीसद मुसलिम हैं और उनमें लगभग 95 फीसद अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत हैं। हिंदू 2.77 फीसद, ईसाई 0.49 और सिख 0.01 फीसद हैं। खोड़ा पटेल के मसविदे के विरोध में भाजपा के कई स्थानीय नेता-कार्यकर्ता पार्टी छोड़ चुके हैं। यहां आबादी का 10 फीसद हिस्सा भी सरकारी नौकरी में नहीं है। फिर भी, मसविदा आने के बाद सरकारी विभागों में अस्थायी लगे लोगों को बाहर किया गया, समुद्र के किनारे लगे मछुआरों के शेड तोड़ दिए गए। लक्षद्वीप के स्कूलों में मिड डे मिल को शु़द्ध शाकाहारी किया गया है।

लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथारिटी रेगुलेशन 2021 पास कर शासन को यह अधिकार दिया गया है कि जरूरत पड़ने पर किसी की भी जमीन अधिग्रहित की जा सकती है। नीति आयोग ने इस द्वीप के विकास के लिए 266.70 करोड़ का बजट मंजूर कर रखा है। निजी क्षेत्र वाले यहां 788 करोड़ निवेश करेंगे, ऐसा उल्लेख आयोग के दस्तावेज में है।

नए नियमन से सामरिक आशंकाएं
कर्नाटक के करवार के पास 1995 में नौसैनिक अड्डा निर्मित हुआ। वह कोच्चि के दक्षिणी नेवल कमांड के अंतर्गत आता है। कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, दशकों पुराना प्रस्ताव है कि मालदीव से हमारे संबंध सुदृढ़ कर माले से लगा उथुलू थिलाफरहू नामक प्रवाल क्षेत्र लिया जाए और भारत उसे नौसेना की अग्रिम रक्षा पंक्ति के तौर पर विकसित करे। इसके साथ ही मारीशस का साउथ अगलेगा द्वीप भी पट्टे पर लेने के लिए भारत की कूटनीतिक बातचीत चलती रही है।

मालदीव का प्रवाल क्षेत्र और मारीशस का द्वीप मिलने से भारत की नौसैनिक घेरेबंदी का मजबूत होगी। दोनों समुद्री ठिकानों से लक्षद्वीप की दूरी अधिक नहीं है। लेकिन लक्षद्वीप में जिस तरह से धर्मीय सवाल उठने लगे हैं, उससे मुसलिम बहुल देश मालदीव का भरोसा जीतना आसान नहीं माना जा रहा। दूसरे, लक्षद्वीप को इस समय फाइबर आॅप्टिक से जोड़ना सामरिक जरूरतों का सबसे जरूरी हिस्सा माना जा रहा है। लक्षद्वीप के एंड्रोथ द्वीप पर भारतीय नौसेना ने ‘नेवल डिटैचमेंट’ को विकसित किया है।

क्या कहते हैं जानकार
प्रशासक ने कभी भी द्वीप पर लोगों की चिंता, उनकी विरासत और संस्कृति को समझने की कोशिश नहीं की। वे ऐसे कानूनों पर जोर दे रहे हैं, जिससे द्वीपवासियों में रोष है।अगर केंद्र द्वीपसमूह से जुड़े विवादास्पद कानूनों को आगे बढ़ाता है तो कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिया जाएगा।
– मोहम्मद फैजल,
सांसद, लक्षद्वीप

मेरे प्रस्तावित प्रावधानों का लक्षद्वीप के लोग विरोध नहीं कर रहे हैं। इसका विरोध वे लोग कर रहे हैं, जिनके अपने स्वार्थ हैं। हम लक्षद्वीप को भी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन, नारियल, मछली और समुद्री सेवाओं का केंद्र बनाना चाहते हैं। यह क्षेत्र स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित हो सकेगा। इसमें गलत क्या है।
– प्रफुल्ल खोड़ा पटेल,
प्रशासक, लक्षद्वीप

सामरिक महत्त्व
लक्षद्वीप उतना ही संवेदनशील सामरिक इलाका माना जाता है, जितना कि अंडमान निकोबार। रक्षा रणनीतिकारों के मुताबिक, इस द्वीप को भारत के भविष्य का नौसैनिक कूटनीति का अधिकेंद्र बनाने की परिकल्पना रही है। कोच्चि में नौसेना का दक्षिणी कमान है। लक्षद्वीप को उसके आगे सैन्य बलों के एकीकृत कमान के नौसन्य अड्डे (ट्राई कमांड नेवल फैसिलिटी) के रूप में विकसित किए जाने की योजना कई दशक पुरानी है। सामरिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण लक्षद्वीप का प्रशासक किसी नौकरशाह या सैन्य कमांडर को बनाया जाता रहा है। खोड़ा पटेल से पहले पूर्व आइएएस दिनेश्वर शर्मा यहां के प्रशासक थे, जिनकी चार दिसंबर 2020 को मृत्यु हो गई। पांच दिसंबर 2020 को प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को लक्षद्वीप के 35 वें प्रशासक का कायर्भार संभालने का आदेश केंद्र सरकार ने जारी किया।