देश में कोरोना संक्रमण और हॉस्पिटल में भर्ती संक्रमित मरीजों व स्वास्थ्यकर्मियों पर पत्रकार रवीश कुमार ने अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की लड़ाई में सरकारी हॉस्पिटलों में हजारों कहानियां दफ्न हैं मगर भारत के मीडिया में इन कहानियों को सामने लाने का साहस नहीं था। एनडीटीवी में प्राइम टाइम शो के एंकर रवीश कुमार ने कोरोना वॉरियर्स पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि उनके लिए थाली बजाकर कोरोना के खिलाफ जंग शुरू हुई मगर उन्हें बीच में ही छोड़ दिया गया।
वरिष्ठ पत्रकार ने बुधवार को अपनी फेसबकु पोस्ट में लिखा- कोरोना की लड़ाई में सरकारी अस्पतालों में हजारों कहानियां दफ्न हैं। भारत का मीडिया उन कहानियों को सामने लाने में ना सक्षम था और ना उसके पास साहस था। डॉक्टरों का तबका भी उन कहानियों को बाहर लाने का साहस नहीं जुटा सकेगा। बहुत से डॉक्टर, नर्स, फ़ार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एंबुलेंस चालक और आशा वर्कर अपनी चुप्पी को नियति मान दुनिया से चले गए। जो रह गए वो लड़ते रहे। उनका शुक्रिया तो बनता है। उनके लिए थाली बजा कर कोरोना से जंग की शुरूआत हुई थी लेकिन बीच में ही उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया।
पोस्ट में आगे लिखा गया कि डॉक्टरों की संस्था कोरोना से शहीद हुए अपने साथियों की सम्मान राशि के लिए लड़ने लगी। सुरक्षा उपकरणों से लेकर तमाम ज़रूरी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष किया और बीच जंग में अपनी सैलरी के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ा। कम से कम उन्हें शुक्रिया तो कहना ही चाहिए। कइयों ने हीरो का काम किया है। उन्हें सलाम तो बनता है।
उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में 8.25 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 18 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि इस बीच 5.85 करोड़ मरीज इलाज के बाद ठीक भी हुई है। कोरोना संक्रमित देशों में अमेरिका, भारत, ब्राजील, रूस और फ्रांस चोटी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में कोविड-19 के कुल मामले बढ़कर 1,02,44,853 हो गए हैं। कोरोना के संक्रमण से मरने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़कर 1,48,439 हो गई है।