राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने देश में स्कूली शिक्षा प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) और अन्य सिविल सेवाओं की तर्ज पर भारतीय शिक्षा सेवा (आइईएस) शुरू किए जाने का सुझाव दिया है। एनसीपीसीआर ने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से ये सिफारिशें की हैं।
आयोग ने बच्चों की सुरक्षा को नजरअंदाज करने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान को नई शिक्षा नीति का अभिन्न हिस्सा बनाने का भी सुझाव दिया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के भेजे सुझावों में आयोग की सदस्य (शिक्षा) प्रियंका कानूनगो ने देश में स्कूली शिक्षा के प्रबंधन को बेहतर बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि एनसीपीसीआर चाहता कि इसके लिए आइएएस, आइपीएस, आइआरएस और दूसरी सिविल सेवाओं की तर्ज पर भारतीय शिक्षा सेवा शुरू की जाए।
आयोग ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 15-18 वर्ष की आयुसीमा के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था किए जाने की जरूरत है। उसने अपनी सिफारिशों में यह भी कहा कि बुनियादी ढांचे से संबधित सुविधाओं को बढ़ाने के साथ ही पढ़ाई की गुणवत्ता पर जोर होना चाहिए तथा ‘निरंतर एवं समग्र आकलन’ (सीसीई) को भारतीय संदर्भ में बनाए जाने की जरूरत है।
उसने मंत्रालय से यह भी आग्रह किया कि नई शिक्षा नीति के तहत सभी निजी और सरकारी स्कूलों में समान यूनीफॉर्म सुनिश्चित किया जाए ताकि बच्चों के भीतर हीन भावना नहीं पैदा हो। आयोग ने कहा कि निजी स्कूलों के फीस के नियमन और ईडब्ल्यूएस कोटे के बच्चों के लिए भी मध्याह्न भोजन का प्रबंध किया जाए।