उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू की गई यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा लागू यूसीसी में तलाक, लिव-इन-रिलेशनशिप संबंधित प्रावधानों को लेकर मुस्लिम और पारसियों का नियम कुछ और ही है। जिसको लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने धामी सरकार से 6 सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के भाई द्वारा दाखिल की गई इस जनहित याचिका में मुस्लिम और पारसी धर्म नियम की बात कही गई है। आपको बता दें कि बीते 27 जनवरी को ही उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूसीसी लागू किया था। इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना था जहां यूसीसी पूरी तरह से लागू हुआ हो।

सरकार ने यूसीसी को लेकर लोगों से ली थी सलाह

उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के पहले सरकार ने राज्य के लोगों को जागरूक भी किया था। सरकार ने यूसीसी लागू करने के लिए पूरी प्रक्रिया को अपनाया था। सरकार ने लोगों से विचार-विमर्श करते हुए लोगों से सलाह भी ली थी। बीते दिनों कैबिनेट से इसे पास करने के बाद अब राज्य सरकार ने आज यूसीसी का एक पोर्टल भी लॉन्च किया है।

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में पहला लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्टर

सरकार द्वारा लागू किए गए यूसीसी नियम के अनुसार यदि कोई शादी करता है तो उसे उसका पंजीकरण अवश्य कराना होगा। साथ ही अगर बिना शादी के भी महिला और पुरुष एक साथ एक छत के नीचे लिव-इन रिलेशनशिप रहते हैं तो एक महीने के भीतर उनको इसका रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए लोगों सरकारी ऑफिस जाने की जरूरत नहीं बल्कि यूसीसी के पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। लेकिन अगर कोई रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने की गलती करता है या फिर गलत जानकारी देता है तो ऐसे में तीन महीने की जेल या 25 हजार का जुर्माना या फिर दोनों ही सजा हो सकती है।

लिव-इन रिलेशनशिप को समाप्त करने करने के लिए महिला और पुरुष दोनों ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। यदि लिव-इन के दौरान महिला प्रेग्नेंट हो जाती है तो ऐसे में बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसकी जानकारी अनिवार्य रूप से देनी होगी।