ताजमहल में बीते मंगलवार को कुछ मुस्लिमों द्वारा नमाज पढ़ने के मामले में विवाद हो गया है। दरअसल हिंदूवादी संगठन बजरंग दल ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा है कि यदि मुस्लिम ताजमहल के भीतर नमाज पढ़ेंगे तो हम भी आरती करेंगे। बजरंग दल के नेता गोविंद पाराशर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “6-7 लोगों ने बिना परमिशन के ताजमहल में नमाज पढ़कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ायी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल में नमाज पढ़ने पर रोक लगायी गई थी, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना की गई।” नमाज पढ़ने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए बजरंग दल के नेता ने कहा कि “हिंदूवादी नेताओं ने सिर्फ ताजमहल में आरती करने का ऐलान किया था और उन्हें जेल भेज दिया गया था। हिंदूवादी नेता ने कहा कि इन लोगों ने ताजमहल को तमाशा बनाया हुआ है, यदि ये लोग ताजमहल में नमाज पढ़ सकते हैं तो फिर हम भी इसमें पूजा करेंगे।”

बता दें कि 19 जुलाई, 2018 को दिए अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी थी और सिर्फ शुक्रवार को नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी। साथ ही कोर्ट ने स्थानीय लोगों को ही ताजमहल में नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी। लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद ताजमहल इंतजामिया कमेटी के कुछ सदस्यों ने मंगलवार के दिन ताजमहल में नमाज पढ़ी। इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश भी की, लेकिन वे नहीं माने।

उल्लेखनीय है कि कई हिंदूवादी संगठनों का मानना है कि ताजमहल एक मंदिर है, जिस पर शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण किया। वहीं दूसरी तरफ ताजमहल एक मकबरा भी है, जहां शाहजहां और मुमताज महल की कब्रें स्थित हैं। लंबे समय से मुस्लिम समुदाय के लोग ताजमहल में नमाज अता करते आ रहे हैं। जिस पर हिंदूवादी संगठनों का विरोध रहा है।