मुजफ्फरपुर शेल्‍टर होम मामले में विशेष पॉक्‍सो अदालत ने शनिवार (16 फरवरी) को सीबीआई को निर्देश देते हुए आरोपी डॉक्‍टर का बयान रिकॉर्ड करने को कहा। अदालत ने यह भी कि कहा कि शीर्ष जांच एजंसी डॉक्‍टर द्वारा बिहार सीएम नीतीश कुमार समेत कई वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सत्‍यता भी जांचे।

डॉक्‍टर के वकील सुधीर कुमार ओझा अनुसार अदालत ने डॉ अश्विनी कुमार, समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद और मुजफ्फरपुर के पूर्व जिला मजिस्ट्रेट धर्मेन्द्र कुमार के खिलाफ शुक्रवार को अपना आदेश दिया था। पूरक याचिका पर शनिवार को आदेश पारित किया गया। इस याचिका में समाज कल्याण विभाग के पूर्व प्रधान सचिवों एस एम राजू, वंदना किनी और अरविंद चौधरी, पूर्व निदेशकों मोहम्मद इमामुद्दीन और सुनील कुमार के अलावा पूर्व सहायक निदेशक देवेश कुमार के नाम थे।

याचिका में अश्विनी ने आरोप लगाया है कि सीबीआई उन तथ्यों को दबा रही है जो आश्रय गृह में जारी धनराशि को देखते हुए उनकी याचिका में नामित लोगों की भूमिका की जांच में सामने आए थे। रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद आश्रय गृह को सील किया गया था और राज्य पोषित इकाई चलाने वाले एनजीओ का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था। उसके मालिक एवं प्रमुख आरोपी ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया था जो इस समय अपने करीबी सहयोगियों तथा कुछ सरकारी अधिकारियों के साथ पटियाला की जेल में बंद है।

इस मामले को पिछले वर्ष जुलाई में सीबीआई को सौंपा गया था। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि इस बहुर्चिचत मामले में मुकदमा सात फरवरी को दिल्ली के साकेत स्थित विशेष पोक्सो (बाल यौन शोषण रोकथाम अधिनियम) अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां सुनवाई अगले सप्ताह से शुरू होने की संभावना है।