गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले पर गुरुवार (2 मई) को विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए 24 लोगों को दोषी और 36 बेगुनाह करार दिया। इस फैसले से जुड़े कई लोग खुश थे और कई दुखी भी, पर कई लोग इस मामले से जुड़े होने के बाद भी फैसले से अंजान ही रहे। ये वे बच्चे थे जो की इस नरसंहार के बाद अपने परिवार से बिछड़ गए थे। इनमें से ही एक था मुजफ्फर शेख नाम का वह मुस्लिम लड़का जो अपने परिवार से अलग हो गया था। उसे बाद में एक हिंदू परिवार ने पाला और अब उसका नाम विवेक पटनी है।

क्या थी पुरी कहानी: घर का रास्ता भटक चुका मुजफ्फर गुजरात के अहमदाबाद में ही रहने वाले एक हिंदू शख्स को मिला जिसका नाम विक्रम पटनी था। वह अपनी पत्नी के साथ मिलकर मक्षली बेचकर अपने परिवार का पालन करता था। विक्रम ने लड़के के बारे में अपनी पत्नी वीना को बताया। वीना ने मुजफ्फर को किसी अनाथ आश्रम में भेजने की जगह खुद अपने ही पास रख लिया। वीना ने लड़के का नाम बदलकर विवेक रख दिया।

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2008 में मुजफ्फर के परिवार ने उसे ढूंढ लिया, पर मुजफ्फर उन्हें नहीं पहचान पाया। वीना ने भी अपने ‘विवेक’ को लौटाने से मना कर दिया। मामला गुजरात के हाई कोर्ट में गया। मुजफ्फर लापता होने के वक्त 2 साल का था इस वजह से ना तो वह अपने असली मां-बाप मोहम्मद सलीम शेख और जेबुनइसा को पहचान रहा था और ना ही उनके साथ जाना चाहता था। इसके बाद कोर्ट ने भी अपना फैसला वीना के हक में सुनाते हुए मुजफ्फर उर्फ विक्रम को उसी के पास रहने दिया।

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इसके बाद धीरे-धीरे वीना ने मुजफ्फर के बड़े होने के साथ उसे उसके असली मां-बाप के पास भेजना शुरू किया था पर, वह उसे अच्छा नहीं लगा। वीना की बहन मधुबेन ने बताया कि विवेक पिछले 4 महीने से वहां पर नहीं गया है। मधुबेन ने कहा, ‘उसने कभी नहीं कहा कि वह अपने मुसलमान माता-पिता के पास वापस जाना चाहता है। उन्हें उनका खाना और रहन-सहन अच्छा नहीं लगता।’

मधुबेन ने यह भी बताया कि विवेक इस वक्त दसवीं में पढ़ रहा था और बोर्ड के पेपर्स में वह दो सब्जेक्ट में फेल हो गया। फिलहाल विवेक वीना के साथ अपनी छुट्टियां मनाने के लिए घूमने गया हुआ है।