पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दुर्गा पूजा पंडालों के लिए 28 करोड़ रुपये दिए जाने पर मौलवी भड़क गए। बुधवार (3 अक्टूबर) को काफी संख्या में मुसलमानों ने सीएम ममता के इस फैसले के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन किया। मौलिवयों ने दुर्गा पूजा पंडाल के लिए दिए गए पैसे की तुलना करते हुए उन्हें मिलने वाले स्टाइपेड को 2500 से बढ़ाकर 10 हजार रुपये करने की मांग की। रैली में शामिल मौलवियों के एक समूह ने कहा कि यदि दुर्गा पूजा पंडाल के लिए इतने पैसे दिए जा सकते हैं तो फिर हमारे स्टाइपेड में वृद्धि क्यों नहीं हो सकती? हमारी मांग उचित है। मौलवियों और मुस्लिम विद्वानों की संस्था अखिल बंगाल अल्पसंख्यक युवा संघ ने राज्य के सभी मदरसे के लिए दो लाख रुपये का सहयोग मांगा। राज्य सरकार द्वारा स्थानीय क्लबों को दी गई राशि की तर्ज पर संस्था ने सहयोग की मांग की है।
प्रदर्शन के दौरान ममता बनर्जी सरकार द्वारा राज्य भर में 28 हजार दुर्गा पूजा समितियों को दस-दस हजार रुपये दिए जाने के निर्णय का जिक्र किया गया और इसी तरह से इमामों का वजीफा बढ़ाए जाने की मांग की गई। सभा को संबोधित करते हुए फुरफरा शरीफ के नेता टोहा सिद्दिकी ने कहा, ‘‘दुर्गा पूजा समितियों को धन दिया जाता है तो हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन इमाम का वजीफा भी बढ़ाया जाना चाहिए। स्थानीय क्लबों को मुहैया कराए गए धन की तर्ज पर सभी मदरसों को दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।’’ इसके साथ ही सिद्धिकी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से अगले लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के लिए कम से कम 16 सीटों की मांग की।
अखिल बंगाल अल्पसंख्यक युवा संघ के महासचिव मुहम्मद कामरुजमान की ने सीएम ममता से निजी और सरकारी विभागों द्वारा कथित रूप से कब्जे वाले कई वक्फ संपत्तियों को मुक्त करने में मदद करने का अनुरोध किया। वहीं, हावड़ा जिला अध्यक्ष अब्दुल रहीम ने कहा, ” हम न केवल मौलवियों के लिए छात्रवृत्ति में वृद्धि की मांग कर रहे हैं बल्कि हम मदरसा सेवा आयोग के माध्यम शिक्षकों की बहाली भी चाहते हैं।” इस रैली को कोलकाता में एस्प्लानेड के पास रानी रश्मोनी रोड से शुरू करना था, लेकिन पुलिस द्वारा अंतिम समय में आदेश बदल दिए जाने की वजह से सेंट्रल कोलकाता में टीपू सुल्तान मस्जिद के बाहर इसका आयोजन किया गया। (एजेंसी इनपुट के साथ)