मुंबई पुलिस ने 16 साल पुराने एक सनसनीखेज मर्डर केस को सुलझाने में कामयाबी हासिल की है। यह मामला 1998 में बंद हो चुका था, लेकिन जब पुलिस को पता चला कि हत्या के एक आरोपी ने मृतक की मूर्ति बनाकर उसका अनुष्ठान किया है तो फिर से यह केस खोला गया। बताया गया कि आरोपी ने एक पुजारी के कहने पर मृतिका का स्टैच्यू बनाकर उसका अनुष्ठान किया, क्योंकि वह काफी समय से रातों को सो नहीं पा रहा था और उसको सपने में महिला दिखाई देती थी।

यह मामला 1997 का है, जब सायन में एक 58 वर्षीय भानुमति ठक्कर की उसके घर में हत्या कर दी गई थी, लेकिन जांच में कोई सुराग नहीं मिलने के कारण यह मामला बंद कर दिया गया। अब 16 साल बाद पुलिस ने हत्या का रहस्य सुलझाया है। मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को एक मुखबिर ने रायगढ़ जिले के महाड गांव में स्टैच्यू बनाने की सूचना दी थी। 1998 में इस केस को बंद कर दिया गया था, इसके बाद मूर्ति की जानकारी मिलने पर पुराने दस्तावेजों को फिर से खोला गया और एक विशेष टीम को सौंपा गया। सितंबर 2013 में पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को भी गिरफ्तार किया था, जिनकी पहचान तानाजी पवार और शंभाजी शेलार के रूप में हुई थी।

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने मुखबिर के दावों पर यकीन नहीं किया, लेकिन बाद में अधिकारियों ने सूचना पर काम करने का फैसला किया। एक अधिकारी ने बताया, “हमने सायन पुलिस स्टेशन में केस के कागजात की तलाश करके अपनी जांच शुरू की। हम पूरे गोदाम में गए जहां केस के कागजात डंप किए गए थे और बीस दिन बाद हमें उन्हें बरामद करने में कामयाबी मिली।”

अधिकारी ने कहा, “हमें सूचना मिलने के बाद हमने इन सभी दस्तावेजों का पता लगा लिया और जांच के तथ्यों का अध्ययन करने के बाद हमने अपने मुखबिर द्वारा दिए गए सुरागों पर काम करना शुरू कर दिया।” पुलिस ने कहा कि मुखबिर ने यह भी खुलासा किया कि तानाजी उस घटना के बाद से रात को सो नहीं पा रहा रहा था क्योंकि वह महिला अक्सर उसको सपने में दिखाई देती थी।” इसके बाद एक पुजारी ने उसे महिला की मूर्ति बनाकर उसका अनुष्ठान करने की सलाह दी।

कबूला अपना जुर्म

तानाजी ने गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया कि ठक्कर द्वारा उसका अपमान किए जाने के बाद उसने 1997 में महिला के घर में चोरी की योजना बनाई थी। उसने कहा, “तानाजी की पत्नी माया, ठक्कर के घर में काम करती थी। ठक्कर और तानाजी एक-दूसरे को जानते थे और कभी-कभी वह उसे पैसे भी देती थी। लेकिन एक बार पैसे मांगने पर ठक्कर ने तानाजी का अपमान किया। इसके बाद उसने ठक्कर के घर में चोरी की योजना बनाई।” इसके बाद वह शेलार सहित अन्य लोगों से भी मिला जिनमें मुखबिर भी शामिल था। हालांकि, मुखबिर का कहना है कि उसने योजना में शामिल होने इनकार कर दिया था।

पुलिस अधिकारी का कहना है कि अब मुखबिर ने पुलिस को इसकी जानकारी दी क्योंकि महिला की मूर्ति बनाए जाने के कारण ग्रामीण काफी डरे हुए थे। बच्चे भी अक्सर वहां बीमार पड़ रहे थे, इस कारण मुखबिर यह मानने लगा कि यह ठक्कर की आत्मा है जो ग्रामीणों को परेशान कर रही थी। इस वजह से 16 साल बाद उसने पुलिस को सूचना दी और हत्या का मामला सुलझ गया।