मुंबई के परेल इलाके की एक गगनचुंबी इमारत में बुधवार (22 अगस्त) को लगी आग ने भारी तबाही मचाई, जिसमें चार लोगों की जान चली गई और 16 घायल हो गए। यह आंकड़ा और बढ़ सकता था अगर ठीक समय पर छठीं कक्षा में पढ़ने वाली एक बच्ची ने सूझबूझ से काम न लिया होता। दर्जन भर से ज्यादा लोगों के लिए संकट मोचक बनी 10 साल की जेन ने मीडिया को बताया कि उसने लोगों की जान बचाने के लिए तीसरी कक्षा में सीखी फायर सेफ्टी टिप्स का इस्तेमाल किया। जेन ने बताया कि जब वह सो रही थी तो उसकी मां ने धुआं आता देख परिवार को जगाया। आग भीषण थी और कमरे में चारों ओर गैस फैल रही थी। सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। पिता को ख्याल आया कि ऐसी स्थिति में किचन सबसे सुरक्षित जगह रहेगी इसलिए परिवार किचन की तरफ बढ़ा। आग के कारण अफरा-तफरी मची थी। लोग अपने फ्लैट से निकलकर गैलरी में आ गए थे। उनमें अस्थमा से पीड़ित एक लड़की भी थी। जेन ने बताया कि उसने सबसे पहले परेशान लोगों को नजरअंदाज करते हुए सारी शक्ति जुटाकर खुद को शांत किया और फिर लोगों से कहा कि वे गीले रूमाल के सहारे सांस लें।

जेन ने बताया कि उसने एक एक कपड़ा लिया और उसको कई टुकड़ों में फाड़कर लोगों में बांटा और उनसे कहा कि कपड़े को गीला करके नाक और मुंह पर रख सांस लें। जेन ने बताया कि उसने स्कूल में सीखा था कि गीले रूमाल के जरिये सांस लेने पर कार्बन बाहर रह जाता है और साफ हवा अंदर जाती है। उसी दौरान दमकल विभाग के कर्मचारियों ने फोन कर लोगों को नीचे आने के लिए कहा तो जेन ने बीच में ही फोन ले लिया और फायर फाइटर्स से कहा कि ऐसी स्थिति में नीचे नहीं आ सकते क्योंकि ऐसा करने पर बहुत दहशत पैदा होगी और दहशत के कारण लोग सांस नहीं ले पाएंगे।

जेन के बताए टिप्स के कारण 13 लोग अपने आप को सुरक्षित रख सके। जेन ने बताया कि उसने आपदा प्रबंधन पर काफी शोध किया था। जेन के मुताबिक जब वह 7 वर्ष की थी तो उसने तीसरी कक्षा में यह शोध किया था क्योंकि एक टॉपिक पर उसे परखा जाना था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परेल इलाके के 17 मंजिला क्रिस्टल टॉवर की 12वीं मंजिल पर आग लगी थी। काफी मशक्कत के बाद दमकल विभाग ने आग पर काबू पाया।