मध्य प्रदेश के कटनी शहर में पिछले 1 माह से आतंक का पर्याय बनी बाघिन को पकड़ने में मंगलवार को सफलता मिली। पिछले एक सप्ताह से बाघिन ने क्षेत्र के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया था। बाघिन के आतंक से कोई घर से बाहर निकलने में डरता था। करीब एक सप्ताह पूर्व बरही वन क्षेत्र के मचमचा-कुआं जंगल से आए दो मादा शावकों ने भी इस क्षेत्र में खौफ फैला रखा था। मादा शावकों ने 3 लोगों को मौत के घाट उतारा। बाद में वन विभाग, टाइगर रिजर्व और वाइल्डलाइफ की टीम हरकत में आई। 3 लोगों की मौत के बाद 2 मादा शावकों को पकड़ा गया था। इसके बाद एक आदमखोर बाघिन ने आतंक मचाया। काफी मेहनत के बाद वन विभाग व नेशनल पार्क की रेस्क्यू टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और उसे पकड़ने में सफलता हासिल की। ऑपरेशन में करीब 40 लोग और 15 हाथियों का दल भी शामिल था।

बाघिन को पकड़ने का ऑपरेशन सोमवार रात 9 बजे से शुरू हुआ और काफी लंबे समय के बाद उसे पकड़ा जा सका। फिलहाल, बाघिन को बेहोश किया है, ताकि उसे कहीं दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सके। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि कोई जंगली जानवर शहर के बीच आया हो। इससे पहले भी कई बार राजस्थान और उत्तर प्रदेश के शहरों में भी जंगल से जानवर आबादी के बीच दिखाई देते रहे हैं।

इसी साल के फरवरी माह में लखनऊ के बाहरी इलाके औरंगाबाद में एक तेंदुआ घुस गया था। यह तेंदुआ तीन दिनों से पुलिस और वन विभाग की टीम को परेशान करता रहा था। इसे पकड़ने में पुलिस और वन विभाग के पसीने छूट गए, लेकिन तेंदुआ काबू में नहीं आया था। हालांकि, बाद में तेंदुआ वन विभाग की ओर से पकड़ने के लिए लगाए गए जाल को तोड़कर एक मकान में घुस गया। इस जानवर ने तीन लोगों को घायल कर दिया था। जब एसएचओ त्रिलोकी सिंह लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे थे, तो तेंदुए ने उन पर भी हमला कर दिया। इसी दौरान तेंदुए पर गोली चलाई गई और उसे मार दिया गया था। लेकिन वन विभाग की टीम ने तेंदुए को मारे जाने पर आपत्ति जताई थी।